पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 37.pdf/१८२

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१७७. पत्र: रेहाना तैयबजीको

६ अगस्त, १९२८

चि॰ रेहाना,

तुम्हारा पहला गुजराती पत्र तो अच्छा ही माना जायेगा। इसी प्रकार अभ्यास करते रहने और अक्षर सुधार लेनेसे तुम्हारी गुजराती बहुत अच्छी हो जायेगी। अब तो समझौता हो गया अतः तुम्हें यहाँ कौन-सा काम सौंपूँ?

सभीको वन्देमातरम्।

बापूके आशीर्वाद

गुजराती (एस॰ एन॰ ९६०८) की फोटो-नकलसे।

 

१७८. पत्र: बेचर परमारको

६ अगस्त, १९२८

भाईश्री बेचर,

तुम्हारा निर्मल पत्र मिला। हालाँकि तुम शिक्षक हो लेकिन पानी क्यों नहीं भरोगे? या हजामत क्यों नहीं बनाओगे? ये काम करनेके कारण भले ही सरकार तुम्हें बर्खास्त कर दे, और लोग निन्दा करें। मैं जो तुमसे शिक्षक बने रहनेका आग्रह करता हूँ उसका कारण यही है कि तुम शिक्षक रहते हुए भी मेहनत-मजदूरी करो और झूठी शर्म छोड़ दो। तुम अलिप्त रहते हुए परिवारकी जिम्मेवारियाँ अपने सिर पर ले लो, इसमें तो कोई बुराई नहीं है। इससे भाग निकलनेकी कोशिश कभी मत करना।

बापूके आशीर्वाद

गुजराती (एस॰ एन॰ २४७४९) की फोटो-नकलसे।