पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 37.pdf/१८३

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१७९. पत्र: मूलचंद अग्रवालको

स्वराज आश्रम, बारडोली
६ अगस्त, १९२८

भाई मूलचंदजी,

आपके पत्रका उत्तर देनेमें विलंब हुआ है क्षमा कीजीये।

जो दूसरेके आधीन काम करता है वह यदि सचमुच उपरीसे ज्यादा योग्य है तो उपरी उसकी योग्यताकी पहचान लेगा। हां एक शर्त है; आधीन व्यक्तिमें पूर्ण नम्रता और धैर्य होना चाहिए।

आपका,
मोहनदास गांधी

जी॰ एन॰ ७६२ की फोटो-नकलसे।

 

१८०. पत्र: प्रभावतीको

स्वराज आश्रम, बारडोली
मौन दिवस [६ अगस्त, १९२८]

चि॰ प्रभावती,

तुमारे सुंदर खत आते रहते हैं। अक्षर और भाषा दोनों अच्छे हैं। ५ बजे रसोड़ेमें जानेका प्रयत्नसे बीमार नहिं होना। ५-३० बजे जाना भी काफी है। मैं अब तो थोड़े दिनोंमें आ जाउंगा। विद्यावतीकी[१] सेहत कैसी है? हिंदी वर्ग बाल-मंदीरका कैसे चलता है। रोजनिशि [डायरी] हमेशा रखो।

बापूके आशीर्वाद

जी॰ एन॰ ३३३१ की फोटो-नकलसे।

 

  1. प्रभावतीको बहन जो भाश्रम में ठहरी हुई थी।