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पत्र: गंगाबहन वैद्यको

 

बाल मन्दिरका कार्यक्रम अच्छा ही लगता है। अब यदि तुम इसीमें लगी रहोगी तो काम जरूर आगे बढ़ेगा।

अपने स्वास्थ्यका ध्यान रखना।

इस सप्ताह के अन्तमें या अगले सप्ताहके आरम्भमें वहाँ पहुँच जानेकी आशा है।

आजकल तुम कब उठती हो?

बापूके आशीर्वाद

गुजराती (जी॰ एन॰ १७५९) की फोटो-नकलसे।

 

१८३. पत्र: वसुमती पण्डितको

७ अगस्त, १९२८

चि॰ वसुमती,

तुम्हारा पत्र तथा विद्यावतीजी का तार भी मिला। यह सूचना उन्हें दे देना। तुम्हारे ठीक हो जानेपर रामदेवजी तुम्हें हरिद्वार ले जायें तो वहाँ जाने और वैद्यको दिखानेमें कोई नुकसान नहीं बल्कि शायद लाभ ही है।

बापूके आशीर्वाद

गुजराती (सी॰ डब्ल्यू॰ ४९२) से।

सौजन्य: वसुमती पण्डित

 

१८४. पत्र: गंगाबहन वैद्यको

स्वराज आश्रम, बारडोली
७ अगस्त, १९२८

चि॰ गंगाबहन,

तुम्हारा पत्र मिला।

हालाँकि समझौता हो चुका है फिर भी मैं यहाँ कुछ दिन और रहूँगा।

तुम प्रार्थनामें नियमित रूपसे जाती हो, यह अच्छा ही है। तुम चाहे जितना काम करो किन्तु बीच-बीचमें आराम लेती रहना और मन शान्त रखना। अधीर होकर कुछ मत करना। मीराबहनके सहवाससे खूब लाभ उठाना और उनसे कह रखना कि वे तुम्हें टोकती रहें। जब भी वे तुम्हें ज्यादा आवाज करते हुए सुनें तो टोक दें। इससे थोड़े ही दिनोंमें चुपचाप प्रसन्नचित्त रहकर काम करनेकी आदत पड़ जायेगी और तुम्हें थकावट भी कम महसूस होगी।