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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

 

कृष्णमैया देवीसे तुम बराबर काम लेती रहना। उन्हें प्रेमसे जीत सकोगी।

बापूके आशीर्वाद

[गुजरातीसे]

बापुना पत्रो – ६: गं॰ स्व॰ गंगाबहेनने

 

१८५. पत्र: मीराबहनको

सत्याग्रह आश्रम, साबरमती[१]
८ अगस्त, १९२८

चि॰ मीरा,[२]

सुब्वैया कल रात यहाँ पहुँचा। इसलिए हाथसे लिखनेके बजाय यह पत्र मैं बोलकर ही लिखवा रहा हूँ।

यदि मेरे वहाँ आने से पहले ही वह बात हो जाती है तो तुम अपना खाना अपने कमरेमें ही मँगवा लिया करना। यह ठीक रहेगा न? और अगर तुम चाहती हो कि किसीको इसका पता न लगे तो तुम अभीसे अपना खाना अपने कमरेमे मँगवाना शुरू कर सकती हो।

किसी अन्य अवसर पर या प्रार्थना-सभामें अलगाव बरतनेका कोई सवाल नहीं उठता। इसका सम्बन्ध तो सिर्फ रसोईघर और भोजन कक्षसे है।

तुम जिस भावनासे यह जाँच कर रही हो, उसे मैं अच्छी तरह समझता हूँ। बेशक, इस विषयमें मुझे बहुत कुछ कहना है। लेकिन वह सब मैं पत्रोंमें नहीं कहना चाहता।

रविवारको या अगले सप्ताहके शुरूमें ही किसी दिन वहाँ पहुँचनेकी आशा करता हूँ।

आश्रमवासियोंके सम्बन्धमें तुमने जो बात कही है, उसका मैंने कोई गलत अर्थ नहीं लगाया है।

सस्नेह।

बापू

अंग्रेजी (सी॰ डब्ल्यू॰ ५३०७) से; सौजन्य: मीराबहन;

जी॰ एन॰ ८१९७ से भी।

 

  1. स्थायी पता।
  2. साधन-सूचमें सम्बोधन देवनागरी लिपिमें है।