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टिप्पणियाँ

 

वल्लभभाईके अधीन काम करनेका सौभाग्य प्राप्त करनेवाले चरित्रवान स्वयंसेवकोंका दल अपनी निष्ठा और अद्भुत अनुशासनके लिए सबसे अधिक प्रशंसाका पात्र है। लेकिन अभी काम पूरा नहीं हुआ है। जिनके पास समय हो, उन्हें हर हालत में सरदारको रचनात्मक कार्य सम्पन्न करने में सहायता देनी चाहिए।

[अंग्रेजी से]

यंग इंडिया, ९-८-१९२८

१८८. टिप्पणियाँ
स्वर्गीय न्यायमूर्ति अमीर अली

मैं स्वर्गीय न्यायमूर्ति अमीर अलीके परिजनोंके प्रति अपनी समवेदना आदरपूर्वक प्रगट करता हूँ। दक्षिण आफ्रिकाके प्रवासी भारतीयों द्वारा १९०६ से १९१४ तक किये जानेवाले उस लम्बे सत्याग्रह-संघर्षमें न्यायमूर्ति अमीर अलीने उनके एक प्रमुख मित्र और सहायककी भूमिका निभाई थी।

दक्षिण आफ्रिकामें दी गई रियायत

अभी सामग्रीको प्रेस भेजते समय मेरे सामने 'इंडियन ओपिनियन' की वह प्रति पड़ी हुई है, जिसमें रियायत योजनाके[१] बारेमें पूरी जानकारी देनेवाला परिशिष्ट भी शामिल है। अभी तो मेरे पास सिर्फ इतना ही समय है कि जो प्रार्थनापत्र देना है, उसका प्रपत्र[१] दे सकूं। वह नीचे दे रहा हूँ। प्रार्थनापत्र आगामी १ अक्टूबरसे पहले डिपार्टमेंट ऑफ इंटीरियर (इमिग्रेशन ऐंड एशियाटिक अफेयर्स)[२] में पहुँच जाना चाहिए।

तो जो लोग दक्षिण आफ्रिका लौटना चाहते हैं, वे समयसे प्रार्थनापत्र भेज दें। बाकी दस्तावेज और जानकारी मैं अगले सप्ताह प्रकाशित करनेकी आशा करता हूँ।[३]

मगनलाल – स्मारक

पाठकोंको यह जानकर हर्ष होगा कि श्रीयुत मूलजी सिक्काने मगनलाल-स्मारकके लिए १०,००० रुपये दिये हैं। इस परिवारके खादी-प्रेमका पर्याप्त परिचय अक्सर कई तरहसे मिला है।

एक भूल-सुधार

गत १९ जुलाईके 'यंग इंडिया' में यह सूचना प्रकाशित हुई थी कि लाला लाजपतरायकी मार्फत बारडोली–कोषके लिए २०,०० रुपये मिले। इसमें ५०० रुपये 'दूसरों द्वारा दिये चन्दे' के रूप में दिखाये गये हैं। लेकिन वास्तवमें यह रकम खुद लालाजी ने दी है। इस भारी भूलके लिए मुझे खेद है, लेकिन जब प्रतिदिन बहुत सारे इन्दराज प्रकाशित करने पड़ते हों और जब इन्हें कई हाथोंसे गुजरना पड़ता

 

  1. १.० १.१ देखिए परिशिष्ट ३।
  2. गृह-विभाग (प्रवासियों और एशियाइयों के मामलोंसे सम्बन्धित खण्ड)।
  3. देखिए "दक्षिण आफ्रिकी प्रमार्जन योजना", पृष्ठ १८६।