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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

 

सत्याग्रहियोंने हमेशा यह दावा किया है कि लगान बढ़ानेका कोई कारण नहीं था और बारडोलीकी जमीनमें पुराना लगान सह सकनेकी शक्ति भी नहीं है। इस बातकी जाँचके लिए समिति नियुक्त करनेकी जो माँग की गई वह बहुत परिश्रमके बाद स्वीकार हुई। इसलिए प्रमाण इकट्ठे करके लोगोंको अब यह सिद्ध करना है कि प्रश्न उनके द्वारा लगानमें वृद्धि सहन कर सकनेका नहीं बल्कि यह है कि इस लगानमें कमी होनी चाहिए। लोगोंके लिए यह प्रमाणित करना भी बाकी है कि सरकारने जिन विवरणोंको लगानमें वृद्धिका आधार माना है वे विवरण भी सही नहीं हैं।

और फिर लोगोंमें जो जागृति आ चुकी है, उसके साथ-साथ जो रचनात्मक कार्य होना चाहिए उसका बहुत महत्त्व है। स्त्रियोंमें अद्भुत जागृति हुई है। उसका लाभ उठाते हुए उनमें फैले हुए अन्धविश्वास और हानिकारक रिवाजोंको दूर किया जाये। पुरुषोंमें जो एकता आई है उसका उपयोग उनके संगठनके लिए और उनमें रूढ़ बुरी आदतोंको दूर करनेके लिए हो। रानीपरज, दुबला, अन्त्यज आदिके प्रति हमारे व्यवहारमें परिवर्तन होना चाहिए। मद्य-निषेधका कार्य सहज ढंगसे हुआ है, उसे कायम रखनेके लिए प्रयत्न करने चाहिए। विदेशी वस्त्रोंका पूर्ण बहिष्कार करनेके लिए बहुत प्रयत्न करनेकी आवश्यकता है। इस प्रदेशमें कपास पैदा होती है; फिर भी घर-घर चरखा नहीं चलता। यह स्थिति बदली जानी चाहिए। यह और ऐसे दूसरे काम हों तो जनतामें आई हुई जागृति कायम रह सकती है और इससे लोग अपने पैरों पर खड़े हो सकेंगे।

इस संघर्ष में बहिष्कारका काफी उपयोग हुआ। शान्त अहिंसक बहिष्कारका सत्याग्रहमें पूरा-पूरा स्थान है लेकिन हिंसक और कटुतापूर्ण बहिष्कारका उसमें तनिक भी स्थान नहीं है। इसलिए जहाँ-जहाँ ऐसा बहिष्कार किया गया हो वहाँ उसे समाप्त करना आवश्यक होगा। शुद्ध बहिष्कारके फलस्वरूप द्वेष या झगड़ा कभी नहीं फैलता; बल्कि उससे प्रेममें वृद्धि ही होती है। जिन्होंने दुर्बलता दिखाई है उनपर ताने नहीं कसे जाने चाहिए। जिन अधिकारियोंने दुर्व्यवहार किया है, उनपर क्रोध नहीं करना चाहिए और न उनकी खुशामद ही की जानी चाहिए। अपनी स्वतन्त्रता कायम रखते हुए लोग अधिकारियों के प्रति मिठाससे काम लें। तलाटियोंने बहादुरी दिखाई है। अब वे पुनः अपने पदोंपर बहाल किये जायेंगे। किन्तु वफादारीसे अपनी नौकरी करते हुए भी वे भविष्यमें लोगोंके प्रति सम्मान और वफादारीसे पेश आयेंगे, जनता ऐसी ही आशा करती है।

[गुजरातीसे]

नवजीवन, १२-८-१९२८