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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

मेरी आँखोंसे आँसु झरने लगें। तुम्हें शायद इसमें अतिशयोक्ति मालूम होती होगी किन्तु तुम्हें मैं वहाँ ले जाऊँ तो तुम उनकी यह दीन दशा अपनी आँखों देख सकते हो। उनकी हड्डियोंपर मांस चढ़ाना एक कठिन काम है, किन्तु हमने इस कठिन कामको करनेकी प्रतिज्ञा की है।

तुम जबतक इस प्रतिज्ञाका पालन नहीं करते तबतक ऐसा समझना कि तुम्हारे सिरका ॠण उतरा नहीं है। ईश्वर तुम्हें और हमें इस ऋणको चुकानेकी सन्मति और शक्ति दे।

[गुजराती से]

नवजीवन, १९-८-१९२८

 

२०२. भाषण: बारडोलीमें – २१[१]

१२ अगस्त, १९२८

अनपाली प्रतिज्ञा

मैं तुम्हें एक बातकी याद दिलाना चाहता हूँ। सन् १९२२ में काफी सोच-विचारके बाद हमने जो प्रतिज्ञा[२] ली थी वह आज भी कायम है। वह प्रतिज्ञा हमने केवल एक ही बार नहीं ली थी, उसे हमने अनेक बार दोहराया और इस प्रकार पक्का किया था। वाइसरायको जो पत्र लिखा था, उसे हमने वापस ले लिया किन्तु उसके साथ अपनी इस प्रतिज्ञाको हमने वापस नहीं लिया था। लोगोंके साथ सलाह-मशविरा करनेके बाद इस प्रतिज्ञाका पालन करनेकी दृष्टिसे आपके इस ताल्लुकेमें हमने संगठनकी रचना की। बारडोली में आज जो रचनात्मक कार्य हो रहा है, उसकी उत्पत्तिकी यह कहानी है। यह काम यहाँ बिना-किसी बाधाके या आसानीसे नहीं होता रहा है। स्वयंसेवकोंको अनेक विपत्तियोंसे गुजरना पड़ा। भाई नरहरिको[३] एकबार प्रसंगवश उपवास करना पड़ा था। यह तो एक ऐतिहासिक घटना है। किन्तु आज मैं उसकी चर्चा नहीं करना चाहता। जबतक उस प्रतिज्ञाका पालन नहीं होता तबतक कोई भी निश्चिन्त होकर नहीं बैठ सकता।

इसलिए यद्यपि आप लोग यहां उत्सव मनाने के लिए इकट्ठा हुए हैं तथापि आप इस उत्सवका उपयोग आत्मनिरीक्षण के लिए कीजिए ताकि आप अपने कर्त्तव्यको भूलें नहीं। स्वयंसेवकोंको तो अपने उत्सवका दिन इसी तरह मनाना चाहिए। जो विजय हमें प्राप्त हुई है, वह समुद्र में एक बिन्दु-मात्र है। जहाँ ऐसा नेतृत्व हो और जहाँ नियमका दृढ़तापूर्वक पालन करनेवाले स्वयंसेवक हों, वहाँ ऐसी विजय प्राप्त कर लेना कोई कठिन चीज नहीं है। इस संघर्ष में हम सरकारसे उसकी सत्ता नहीं हथियाना चाहते थे। हमने तो केवल चन्द अन्यायोंके सम्बन्ध में न्यायकी माँग की

 

  1. स्वयंसेवकोंके समक्ष।
  2. देखिए खण्ड २२, पृष्ठ ३०२-९।
  3. नरहरि परीख; जिस गांवमें वे काम करते थे उस गाँवके निवासियोंका व्यवहार दुबला लोगोंके प्रति क्रूरतापूर्ण था इसलिए उन्होंने उपवास किया था।