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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

 

लड़नेवाले हमेशा लड़ते नहीं रहते

जो लोग ऐसा समझते हैं कि हिन्दुस्तानका स्वराज्य लड़कर ही लिया जा सकेगा, उनसे मैं कहना चाहता हूँ कि वे भ्रममें हैं। हिंसक लड़ाई में भी लड़नेवाले हमेशा युद्धका ही विचार नहीं करते रहते। यदि कोई समझता हो कि वे युद्धका ही विचार करते रहते हैं तो यह उसकी भूल है। गैरीवाल्डी इटलीका एक महान् सेनापति हो गया है। युद्ध में उसने बहुत बहादुरी दिखाई थी। किन्तु जिस समय युद्ध नहीं हो रहा होता था उस समय वह हल चलाता था और खेती करता था। दक्षिण आफ्रिकाका जनरल बोथा कौन था? वह बारडोलीके किसानों-जैसा एक किसान था। उसके पास चालीस हजार भेड़ें थीं। भेड़ोंकी उसको इतनी अच्छी पहचान थी कि जितनी किसी गड़रियेको भी नहीं हो सकती। इस विद्यामें उसने पेरिसकी परीक्षा पास की थी। योद्धाकी तरह उसने बहुत नाम कमाया। किन्तु युद्धके प्रसंग तो उसके जीवन में बहुत कम थे। जीवनका अधिक भाग तो उसने रचनात्मक कामोंमें ही बिताया था। इतना बड़ा धन्धा चलानेवाले में कितना अधिक रचना-कौशल रहा होगा। अब जनरल स्मट्सका उदाहरण लें। वह सिर्फ अच्छा सेनापति ही नहीं है। धन्धेसे वह वकील है। किसी समय वह अटर्नी जनरल था और साथ ही कुशल किसान भी था। प्रिटोरिया के पास ही उनकी विशाल जमींदारी है। और वहाँ वे जितनी सुन्दर खेती-बाड़ी करते हैं उतनी उस प्रदेशमें दूसरा शायद ही कोई करता हो। ये ऐसे व्यक्तियोंके उदाहरण हैं जो जगत्-प्रसिद्ध सेनापति थे और फिर भी जो रचनात्मक कार्यके लाभको अच्छी तरह समझते थे।

यह समृद्धि दक्षिण आफ्रिकामें आरम्भसे नहीं थी। वहाँ तो हबशी लोग रहते थे। बादमें नये लोगोंने आकर उस देशको समृद्ध किया। लेकिन क्या उन लोगोंने उसे लड़ाई लड़कर समृद्ध किया? लड़ाईके द्वारा देश जीता जा सकता है, किन्तु उसे समृद्ध तो रचनात्मक कार्यके द्वारा ही किया जा सकता है। तुम लोगोंने लड़ाईमें वल्लभभाईका नेतृत्व स्वीकार किया। क्या अब आप रचनात्मक कार्यमें उनका नेतृत्व स्वीकार कर सकेंगे? यदि आप यह नहीं कर सके तो याद रखें कि आपकी सारी कमाई धूलमें मिलनेवाली है। फिर बारडोलीके किसानोंका एक लाख रुपया बच भी गया तो क्या और न भी बचा तो क्या?

सफाई और दुरुस्ती

बारडोली गाँवके रास्तोंको जरा देखो। यहाँ रहनेवाले स्वयंसेवकोंके लिए उनको साफ करना एक-दो दिनका काम है। उसके बाद तो लोगोंको रोज आधा घंटा देकर सिखलाया जाय तो भी काफी होगा। तुम पूछोगे कि स्वराज्यके साथ इसका क्या सम्बन्ध है? मैं कहता हूँ कि बहुत निकटका सम्बन्ध है। अंग्रेजोंके साथ सिर्फ लड़ने से ही स्वराज्य नहीं आनेवाला है। जहाँ वे हमारी स्वतन्त्रतामें बाधक हों, वहाँ हम उनसे लड़ें किन्तु हमें क्या जंगलियोंका स्वराज्य लेना है कि अंग्रेजोंकी पीठ फिरते ही हम जहाँ चाहें रहें, जहाँ चाहें गन्दगी किया करें? कल ही हम वालोडसे[१] बारडोली

 

  1. १३-९-१९२८ के यंग इंडिया में यहाँ 'वॉकानेर' है।