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२०४. पत्र: प्रभावतीको

स्वराज आश्रम, बारडोली
[१३ अगस्त, १९२८ के पूर्व][१]

चि॰ प्रभावती,

विद्यावती बाफ लेती है क्या? उसको ठंडे पानीमें भीगोइ हुई चद्दरमें लपेट-कर आध घंटे तक सुलाना चाहीए। चद्दरको साफ ठंडे पानीमें भीगोकर खूब नीचोडना, पीछे बीछाने पर बीछाना उसपर विद्यावतीको सुलाना बाकीका चद्दरका हिस्सा बदन पर लपेटना फीर गरम कमली ओढाना। मुं बाहर रखना चद्दर पर नंगे बदन सोना चाहीये। यदि इस तरह सोनेसे शरीर गरम न होवे और ठंडी लगे तो उठ जाना चाहीये। मुझे कुछ ख्याल है की गंगाबहन इस स्नानको जानती है कयोंकी उसको मैंने दीया था। यदि समझमें नहिं आया है तो छोड़ो। नीमके पत्ते पानी में उबालकर उस पानीसे स्नान करनेसे भी फायदा होनेका संभव है। खानेमें विद्यावती परहेजगार नहिं है ऐसा मुझे शक है।

मांकी तबीयत अच्छी है। जानकर खुश होता हुं।

कमलाबहेन गांधीसे काहो उनके खतका उत्तर नहि देता हुं कयोंकी सोमवारके रोज आश्रममें पहोंच।

बापूके आशीर्वाद

जी॰ एन॰ ३३२६ की फोटो-नकलसे।

 

२०५. तार: नानाभाई मशरूवालाको[२]

[१३ अगस्त, १९२८]

नानाभाई मशरूवाला
अकोला
बालूभाईकी मृत्युसे[३] आश्रम शोक-संतप्त।

बापू

अंग्रेजी (एस॰ एन॰ १४७५७) की फोटो-नकलसे।

 

  1. गांधीजीके सोमवार, १३ अगस्त, १९२८ को आश्रम पहुँचनेके उल्लेखसे; देखिए "पत्र प्रभावतीको", ६-८-१९२८ भी।
  2. यह तार नानाभाई और किशोरलालके १३ अगस्तके तारके उत्तरमें दिया गया था, जो इस प्रकार था: "सूचित करते दुःख होता है कि प्रातःकाल बम्बईमें बालूभाईका स्वर्गवास हो गया। नानाभाई, किशोरलाल।" देखिए अगले दो शीर्षक भी।
  3. देखिए "एक मूक कार्यकर्ताका स्वर्गवास", १९-८-१९२८।