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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

जो लोगोंके लिए बहुत महत्त्वपूर्ण हो मगर इतना अपरिचित कि कांग्रेस प्रदर्शनीके माध्यमसे उनका विज्ञापन करना जरूरी हो, किसी भी तरहका विदेशी माल प्रदर्शनीमें न आने दूँ। और मिलोंके कपड़ेकी प्रदर्शनी तो कभी न करूँ, क्योंकि मिलोंको न विज्ञापनकी जरूरत है और न वे इस लायक ही हैं।

हृदयसे आपका,

डॉ॰ सुरेशचन्द्र बनर्जी
कुमिल्ला

अंग्रेजी (एस॰ एन॰ १३६५८) की माइक्रोफिल्मसे।

 

२१०. पत्र: सतीशचन्द्र दासगुप्तको

सत्याग्रहाश्रम, साबरमती
१४ अगस्त, १९२८

प्रिय सतीश बाबू,

आपका पत्र मिला।

श्रीयुत सुभाष बोसके पत्रका जो उत्तर[१] दिया है, उसकी नकल साथमें भेज रहा हूँ। मैं अभी बारडोली से लौटा हूँ।

श्रीयुत सतीशचन्द्र दासगुप्त
खादी प्रतिष्ठान
सोदपुर

अंग्रेजी (एस॰ एन॰ १३६५५) की फोटो-नकलसे।

 

२११. पत्र: आर॰ बी॰ ग्रेगको

सत्याग्रहाश्रम, साबरमती
१४ अगस्त, १९२८

प्रिय गोविन्द,

तुम्हारा पत्र मिला। विज्ञान पर लिखी तुम्हारी पुस्तिकाकी[२] पाण्डुलिपिके मिलते ही मैं उसे पढ़कर सम्मतिके लिए काकाको दे दूंगा।

प्रकाशनके विषयमें, यद्यपि मैं तुम्हारी दलीलोंको[३] समझता हूँ, फिर भी न जाने क्यों, मेरी आत्मा इस विचारको स्वीकार नहीं करती। लेकिन पुस्तिकाको पढ़नेके बाद में निर्णय देनेके लिए ज्यादा अच्छी स्थिति में होऊँगा।

 

  1. देखिए "पत्र: सुभाषचन्द्र बोसको", १४-८-१९२८।
  2. साइंस फॉर किडीज़ नामक पुस्तिका।
  3. पाण्डुलिपिको प्रकाशनार्थं मैकमिलन कम्पनीको देनेके पक्षमें दी गई दलीलें।