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पत्र: गिरधारीलालको

 

आशा है, अमेरिका जाने से पहले ज्यादा काम कर-करके तुम अपनेको बीमार नहीं बना लोगे। मैं चाहूँगा कि वहाँके लिए प्रस्थान करते समय तुम्हारा स्वास्थ्य खूब अच्छा रहे।

अगर सांकेतिका आदिके लिए तुम्हें समय न मिले तो अभी इस सबको पड़ा रहने दिया जा सकता है।

मैं नहीं समझता था कि एन्ड्रयूज इंग्लैंडमें हैं, यह बात तुम्हें मालूम नहीं है। वे तो जब यहाँ थे, तभी अमेरिका जानेका इरादा रखते थे। बेशक, वहाँ तो उनसे तुम्हारी मुलाकात होगी ही। वे वहाँ सितम्बरमें पहुँच रहे हैं।

हाँ, बारडोलीसे एक बहुत बड़ा सबक मिलता है। इसने अहिंसात्मक तरीकों और जनसाधारणकी शक्तिके प्रति फिरसे विश्वास उत्पन्न कर दिया है।

स्टोक-परिवारसे मेरा स्नेह-वन्दन कहना।

हृदयसे तुम्हारा,

अंग्रेजी (एस॰ एन॰ १३४८९) की फोटो-नकलसे।

 

२१२. पत्र: गिरधारीलालको

सत्याग्रहाश्रम, साबरमती
१५ अगस्त, १९२८

प्रिय लाला गिरधारीलाल,

हाँ, बारडोलीके बारे में आपका कहा सब-कुछ सच है। सत्याग्रहियोंको जो प्रशंसा मिल रही है, वे उसके योग्य पात्र हैं और वल्लभभाई तो सबसे योग्य पात्र हैं।

तार भेजनेका लोभ संवरण करके कुछ आने बचानेका आपका खयाल मुझे अच्छा लगा। लेकिन इससे यह भी प्रकट होता है कि आपको फिर घाटा लगा है। कितना अच्छा हो कि आप बड़ी-बड़ी योजनाओंके फेरमें न पड़ें, बल्कि ईश्वर थोड़ा-बहुत जो दे उसीमें सन्तोष मानें।

हृदयसे आपका,

लाला गिरधारीलाल
'दीवान भवन', दिल्ली

अंग्रेजी (एस॰ एन॰ १३४९२) की फोटो-नकलसे।