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२२५. तार: राजेन्द्रप्रसादको[१]

[१६ अगस्त, १९२८ या उसके पश्चात्]

राजेन्द्रप्रसाद
जयावती
लन्दन


सम्मेलन सफल हो।

गांधी

अंग्रेजी (एस॰ एन॰ १४३८१) को माइक्रोफिल्मसे।

 

२२६. पत्र: सी॰ ए॰ एलेक्जेंडरको

सत्याग्रहाश्रम, साबरमती
१८ अगस्त, १९२८

प्रिय मित्र,

आपने उत्तर[२] भेजनेमें जो तत्परता दिखाई, उसके लिए धन्यवाद। मुझे श्री सकलातवाला का पत्र[३] भी मिला है।

मेरे स्वास्थ्यके बारेमें पूछनेके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद। आपको यह बताते हुए खुशी हो रही है कि मेरा स्वास्थ्य काफी अच्छा है।

अब मैं साबरमती लौट आया हूँ।

हृदयसे आपका,


श्री सी॰ ए॰ एलेक्जेंडर
महाप्रबन्धक, टाटा आयरन ऐंड स्टील कं॰ लि॰
जमशेदपुर, (बरास्ता-टाटानगर

अंग्रेजी (एस॰ एन॰ १२७७८) की माइक्रोफिल्मसे।

  1. यह तार डॉ॰ राजेन्द्रप्रसाद द्वारा लन्दनसे १६ अगस्त, १९२८ को भेजे गये तारके उत्तरमें दिया गया था। उस तारमें उन्होंने गांधीजो से एर्द, हालेंडमें होनेवाले युवक-सम्मेलनके लिए सन्देश भेजनेको कहा था।
  2. ११ अगस्तका पत्र; जिसमें सी॰ ए॰ एलेक्जेंडरने लिखा था कि "मैं . . . आपको यह बताना चाहता हूँ कि आप जिन वाक्योंकी बात कर रहे हैं उन्हें आपके एक भाषणके आधारपर हमारे बम्बई-स्थित प्रधान कार्यालय में तैयार किये गये एक पर्चेमें इस संस्थानके अध्यक्ष श्री [एन॰ बी॰] सकलातवाला और अन्य लोगोंने, जिन्हें आप जानते हैं, डाला था। . . ." (एस॰ एन॰ १३२३९)
  3. अपने १५ अगस्तके इस पत्र (एस॰ एन॰ १४४५७) में सकलातवालाने लिखा था कि "यदि हमने . . . मजदूरोंको अपनी स्थिति समझाने और कामको चालू रखनेका महत्व बताने की आशासे [श्रमिकोंके] झगड़ेके सिलसिले में आपके नामका दुरुपयोग किया हो तो मुझे उसके लिए खेद है।"