पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 37.pdf/२४४

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२३८. पत्र: जोसिया ओल्डफील्डको

सत्याग्रहाश्रम, साबरमती
२४ अगस्त, १९२८

प्रिय मित्र,

आपका पत्र मिला, बड़ी प्रसन्नता हुई। इस साल तो मैं यूरोप नहीं आ सका, लेकिन अगर सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो अगले साल आनेकी उम्मीद करता हूँ और तब आपसे कहीं-न-कहीं मिलूंगा ही। और कहीं आप जब सोचते हैं, उससे पहले ही अपनी प्रस्तावित यात्रापर यहाँ आ गये तब तो बेशक हम यहाँ मिलेंगे ही।[१]

हृदयसे आपका,

डॉ॰ जोसिया ओल्डफील्ड
लेडी मार्गरेट अस्पताल
डॉडिंग्टन, केंट

अंग्रेजी (एस॰ एन॰ १४३६६) की फोटो-नकलसे।

 

२३९. पत्र : रेवरेंड बी॰ द लिग्ट

सत्याग्रहाश्रम, साबरमती
२४ अगस्त, १९२८

प्रिय मित्र,

आपका वह पत्र मिल गया है जिसके साथ आपने मेरी सुविधाके लिए मेरे नाम लिखे अपने खुले पत्रका अंग्रेजी अनुवाद भी भेजनेकी कृपा की है। मैं इतना व्यस्त हूँ कि उस खुले पत्रको पढ़नेका मुझे समय ही नहीं मिल पाया है, लेकिन मैं उसे पूरा पढ़कर, मुझसे जितनी जल्दी हो सकेगा, उसका उत्तर देनेकी आशा रखता हूँ। हो सकता है, मुझे आपको इसका उत्तर 'यंग इंडिया' के पृष्ठोंमें देना पड़े।[२] अगर ऐसा करना पड़ा तो मैं यह मान लेता हूँ कि आप अन्यथा न समझेंगे।

हृदयसे आपका,

श्री बी॰ द लिग्ट[३]
ओनेक्स (जिनेवा) स्विट्जरलैंड

अंग्रेजी (एस॰ एन॰ १४३८६) की माइक्रोफिल्मसे।

 

  1. डॉ॰ जोसिपा ओल्डफील्डने अपने ३० जुलाई, १९२८ के पत्र (एस॰ एन॰ १४३६५) में लिखा था कि उनके पुनः भारत आनेकी सम्भावना है। उनकी प्रस्तावित यात्राका उद्देश्य भारत में 'मनुष्यका मनुष्येतर प्राणियोंसे सम्बन्ध' विषयपर भाषण देना था।
  2. देखिए "युद्ध के प्रति मेरा दृष्टिकोण", १३-९-१९२८।
  3. कॉन्क्वेस्ट ऑफ वायलेंसके लेखक।