पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 37.pdf/२५२

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२४७. पत्र: टी॰ प्रकाशम्को

सत्याग्रहाश्रम, साबरमती
२६ अगस्त, १९२८

प्रिय प्रकाशम्,

आपका पत्र मिला।[१] यदि आप अपने और अखिल भारतीय चरखा संघके विवादमें न्यायमूर्ति वेंकटसुब्बारावको एकमात्र पंच बननेके लिए राजी कर सकें तो यह बहुत अच्छा हो। इसलिए आप कृपया उनकी रजामन्दी पानेकी कोशिश करें और मुझे उसके परिणामसे अवगत करायें।

हृदयसे आपका,

श्रीयुत टी॰ प्रकाशम
'स्वराज्य', मद्रास

अंग्रेजी (एस॰ एन॰ १३६७२) की माइक्रोफिल्मसे।

 

२४८. पत्र: च॰ राजगोपालाचारीको

सत्याग्रहाश्रम, साबरमती
२६ अगस्त, १९२८

केशू इस बातके लिए बहुत उत्सुक है कि वह अपना अंग्रेजीका ज्ञान, जितनी जल्दी हो सके, दुरुस्त कर ले। वैसे उसे काफी अंग्रेजी आती है। मेरा विचार यह है कि यदि उसे बियरम-दम्पतीके साथ रखा जाये तो वह अच्छी प्रगति कर सकेगा। कृपया आप इस पर अपनी राय दें। यदि आप समझते हैं कि मेरा सुझाव अच्छा है तो आप बियरम-दम्पतीसे खुद ही जाकर मिलें। अथवा यदि आप सोचते हों कि इसके साथ-साथ या इसके बजाय कुछ और करना बेहतर रहेगा अथवा बंगलोरके बदले कहीं और जाकर अंग्रेजी सीखना ज्यादा ठीक रहेगा तो वैसा सूचित कीजिएगा।

शंकरलाल और आपका कैसा चल रहा है, इसके बारेमें मुझे आप अवश्य बताइएगा। आप दोनोंको बिलकुल ठीक-ठीक रहना चाहिए।

श्रीयुत च॰ राजगोपालाचारी
मार्फत – खादी वस्त्रालय
फोर्ट, बंगलोर सिटी

अंग्रेजी (एस॰ एन॰ १३४९६) की फोटो-नकलसे।

 

  1. १४ अगस्त, १९२८ का पत्र, जिसमें लिखा था: "मैं इस मामले में पंचके रूपमें . . . मद्रास उच्च न्यायालयके न्यायाधीश न्यायमूर्ति श्री वेंकटसुब्बारावका नाम सुझाता हूँ।" (एस॰ एन॰ १३६५७)। देखिए "पत्र: टी॰ प्रकाशमको", २०-७-१९२८ भी।