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२५४. पत्र: एन॰ सी॰ बारदोलाईको

सत्याग्रहाश्रम, साबरमती
२८ अगस्त, १९२८

प्रिय मित्र,

मैंने आपका पत्र[१] अखिल भारतीय चरखा संघके कार्यालयमें भेज दिया था, और यह रहा कार्यालय द्वारा तैयार किया गया विवरण।[२] इसके पक्ष-विपक्षमें मैं कुछ नहीं कहना चाहता। मैं चाहता हूँ कि आप स्वयं ही देखें कि सही स्थिति क्या है। सार्वजनिक कोषकी व्यवस्थामें कोई ढील नहीं होनी चाहिए। और मैं अनुशासनसे चिढ़नेको हम लोगोंका गम्भीर दोष मानता हूँ। अनुशासनके बिना बारडोली संघर्ष एक बिलकुल ही निष्फल प्रयास होता। वल्लभभाईके नीचे १०० से अधिक कार्यकर्त्ता थे और सबने एक मन होकर एक व्यक्तिकी तरह काम किया। उनमें परस्पर कभी किसी बातको लेकर कोई गलतफहमी हुई हो, ऐसा मुझे नहीं मालूम। पिछले वर्ष बाढ़-सहायता कार्यके समय लगभग १००० से अधिक कार्यकर्त्ता कामपर थे। इस अवसरपर भी कार्यकर्ताओंने वैसा ही अनुशासित व्यवहार किया जैसा बारडोलीके कार्यकर्त्ताओंने किया।

हृदयसे आपका,

श्रीयुत एन॰ सी॰ बारदोलाई
शान्ति भवन
गोहाटी

अंग्रेजी (एस॰ एन॰ १३६७३) की माइक्रोफिल्मसे।

 

  1. २३ जून, १९२८ का पत्र (एस॰ एन॰ १३६२८)।
  2. इसमें १९२५ से १९२८ तक भारत में प्रतिवर्ष खादीके उत्पादनको मात्राका ब्योरा दिया गया था।