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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

प्रोत्साहन नहीं देता। सीधा करनेकी कलाको परिश्रमसे सीखा जा सकता है। जो व्यक्ति उसे सीख ले, वह अपना तकुआ बहुत ही कम समयमें सीधा कर सकता है और यह काम यदा-कदा करनेसे आँखोंपर जोर नहीं पड़ता। संघ किसी ऐसे यन्त्रकी तलाशमें है जिससे निर्दोष तकुए बनाये जा सकें। लेकिन बहुत कोशिश करने पर भी उसे अभी तक ऐसा यन्त्र नहीं मिल सका है। तथापि मैं आपका पत्र तमिलनाड शाखाको भेज रहा हूँ, जिससे प्रेम और यज्ञकी भावनासे कताई करनेवालों की जितनी मदद सम्भव हो, उतनी मदद वह कर सके।

आर॰ दोराइस्वामी
खादी एजेंट
कुम्बकोणम्

अंग्रेजी (एस॰ एन॰ १३६७५) की माइक्रोफिल्मसे।

 

२५७. पत्र: बी॰ जी॰ हॉनिमनको

सत्याग्रहाश्रम, साबरमती
२८ अगस्त, १९२८

प्रिय मित्र,

मुझसे लेख प्राप्त करना तो सुमसे धन प्राप्त करने-जैसा कठिन है। इसलिए मैं आपको केवल सन्देश ही भेज सकता हूँ और वह यह है:

लखनऊने जो रास्ता दिखाया है, उसपर चलकर संवैधानिक स्वराज्य तो प्राप्त किया जा सकता है, लेकिन अन्दरसे विकसित होनेवाला जीवन्त स्वराज्य जो राम-राज्यका पर्याय है, बारडोली द्वारा दिखाये रास्तेपर चलकर ही प्राप्त किया जा सकता है।

हृदयसे आपका,

श्रीयुत बी॰ जी॰ हानिमन
'इंडियन नेशनल हेराल्ड'
पोस्ट बाक्स नं॰ ८००
बम्बई

अंग्रेजी (एस॰ एन॰ १३४९७) की फोटो-नकल से।