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२७०. टिप्पणियाँ
वरकी कीमत

एक प्रश्नकर्ता योग्य वरकी कीमतके बारेमें लिखते हैं:[१]

बापका पैसा लेकर कन्याको देना तो एक दुष्ट प्रथा है ही, किन्तु जब वर कन्याके बापसे विवाह करनेकी मेहरबानी दिखानेकी कीमत वसूल करता है, तब तो नीचताकी जाती है। बापको ऐसी कीमत न देनेकी प्रतिज्ञा लेनी चाहिए और कन्याको प्रगति करने देना चाहिए और समझदार कन्याको चाहिए कि वह किसी भी ऐसे लालची व्यक्तिकी ओर देखने से भी इनकार कर दे। विवाह ही जिन्दगीका परम कर्तव्य नहीं है। पैसेके लालचसे किया गया विवाह, विवाह नहीं है, एक नीच सौदा है। नवयुवकोंको ऐसी सौदेबाजीसे मुक्त हो जाना चाहिए। नवयुवक समझ लें कि ससुरको दण्ड देकर सुख भोगना अथवा पढ़ना बल्कि पाप है।

साधुसे कष्ट

उनका दूसरा एक सवाल यह है:[२]

लोगोंको यों दण्ड देनेवाले आदमी साधु कहलाने लायक नहीं हैं। भगवा वस्त्र पहनने या सिर्फ लँगोटीसे निर्वाह करनेवाले लोगोंके वेशके भुलावे पड़कर इस देशके लोग उन्हें साधु मानकर पूजते हैं। वेशसे कोई साधु नहीं बन सकता। साधु-वेशमें इस देशमें हजारों असाधु घूमते हैं। साधुके रूपमें दिखलाई पड़नेवाले या जिनका असली रूप प्रगट हो चुका है, ऐसे असाधुओंसे गाँवोंके निवासियोंको डर नहीं जाना चाहिए। गाँवके लोगोंमें साधुको पहचाननेकी शक्ति आनी चाहिए और उन्हें दुष्ट लोगोंका डर छोड़ देना चाहिए। उनका विरोध कर सकनेकी शक्ति पैदा करनी चाहिए। अन्धविश्वास और भय दोनों शत्रुओंको गाँवोंसे निकाल बाहर करनेके लिए शिक्षित-वर्गके गाँवोंमें प्रवेश करनेकी आवश्यकता है। सरदार वल्लभभाईने गाँवोंमें प्रवेश करनेका रास्ता सारे हिन्दुस्तानको दिखलाया है। अब बारडोलीमें रचनात्मक कार्यक्रमके अन्तर्गत ऊपर जैसे बहुत-से काम होंगे और उनसे प्रजा नये पदार्थपाठ सीखेगी।

क्या यह धर्म है?

इन सज्जनका अन्तिम प्रश्न यह है:[३]

जैनियों द्वारा कन्द-मूलके विरोधसे मैं बचपन से ही परिचित हूँ। किन्तु उसपर धार्मिक प्रतिबन्धकी बात कभी समझमें नहीं आई। यह तो समझा जा सकता है कि कन्दमूलों

 

  1. यहाँ नहीं दिया जा रहा है। प्रश्नकर्ताने वर पानेके लिए बीस-बीस हजार रुपये तक चुकानेके उदाहरण देकर अपने परिवारके सामने उपस्थित संकटका उपाय पूछा था।
  2. यहाँ नहीं दिया जा रहा है। इसमें साधुओं द्वारा जनतासे पैसे वसूल करनेका वर्णन था।
  3. यहाँ नहीं दिया जा रहा है। इसमें जैन साधुओं द्वारा आलू, प्याज आदि कन्द-मूलको अखाद्य कहनेके औचित्यके विषय में पूछा गया था।