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२७४. उत्कलको सहायता करें
अखिल भारतीय चरखा संघके उत्कल स्थित प्रतिनिधि श्रीयुत निरंजन पटनायकने मुझे एक पत्र लिखा है, जिसमें से मैं निम्नलिखित अंश यहाँ उद्धृत कर रहा हूँ:
पिछले कुछ महीनोंसे अखिल भारतीय चरखा संघकी उत्कल शाखाका बिक्रीका काम सन्तोषजनक नहीं रहा है। उत्पादनका कार्य अच्छी तरहसे चल रहा है; उत्पादनकी वर्तमान दर ४,००० रुपये प्रति मास है। आपके सुझावपर, जो इलाके ज्यादा कष्टमें थे, वहाँ हमने दो नये केन्द्र खोले हैं — एक कटक जिलेके औल नामक स्थानमें तथा दूसरा बालासोर जिलेके तिहिडी नामक स्थानमें। इन दो केन्द्रोंमें अब लगभग ३०० कतैये हैं और उन्होंने अब तक लगभग ९ मन (१ मन = ८० पौंड) सूत काता है, जिसमें से अधिकांश १२ से १५ नम्बर तक का और कुछ २० नम्बरका भी है। तथापि बिक्री कम है। पिछले साल हमने प्रतिमास औसतन २,७४१ रुपयेकी बिक्री की। इसके मुकाबले चालू वर्षमें यद्यपि आपके यहाँ आनेके कुछ हफ्ते पहले और आपके उत्कल आनेपर हमने २०,००० रुपयेको खादी बेची, लेकिन आपके यहाँसे जानेके बाद ब्रिकी घट गई। मतलब यह कि यद्यपि चालू वर्षमें प्रतिमास औसतन लगभग ३,५०० रुपयेकी बिक्री बैठेगी, फिर भी पिछले कुछ महीनोंसे बिक्री प्रतिमास २,००० रुपयेसे भी कमकी दरसे हुई। परिणामतः हमारे यहाँ अभी लगभग ४०,००० रुपयेकी खादी पड़ी हुई है। पिछले वर्ष हमें कुल मिलाकर १०.३ प्रतिशत लाभ हुआ और इस वर्षकी हमारी कीमतें भी उसी लाभके आधारपर निर्धारित की गई हैं। अब मैं नीचे हमारे यहाँ तैयार किये जानेवाले एक सामान्य ढंगके कपड़ेका उदाहरण देकर उत्पादनपर हुए खर्च और बिक्री मूल्यका सम्बन्ध बताता हूँ:
कुरतेका कपड़ा १० गज × ४५ इंच: इसका वजन ४ पौंड २८ तोला है और इसमें प्रतिइंच ८ और ९ अंकके लगभग २६ धागे हैं।
| रु॰ आ॰ पा॰ | ||
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१. | ५ पौंड रुईको कीमत | २– ८– ० | |
२. | कातने की मजदूरी (प्रति पौंड २१२ तोलेकी कमीकी गुंजाइश रखते हुए) | १– ४– ० | |
३. | बुनाईकी मजदूरी ३ आना प्रतिगजके हिसाबसे | २– ०– ६ | |
४. | धुलाई | ०– ३– ० | |
५. | कताई-केन्द्रसे बिक्रीके डिपो तकका ढुलाई-भाड़ा | ||
(पिछले वर्षके आधारपर) | ०– ४– ८– | ||
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उत्पादनकी मूल लागत | ६– ४– २– | ||
बिक्री मूल्य ०-१०-९ प्रतिगजकी दरसे | १– ११– ६– | ||
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दोनोंका अन्तर | ०– ७– ४– |