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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

मदद देनेके दो तरीके हैं – या तो यह कि हम निजी इस्तेमालके लिए उसे खरीद लें या फिर खादी-संस्थाको दान देकर उसका वहींके गरीब लोगोंके हाथों सस्ते दामोंमें बेचा जाना सम्भव बनायें। मैं आशा करता हूँ कि जो लोग उड़ीसाकी स्थितिको समझते हैं तथा राष्ट्रकी अर्थव्यवस्थामें खादीके महत्त्वको स्वीकार करते हैं, वे मेरे द्वारा सुझाये दो रास्तोंमें से किसी एकको अवश्य अपनायेंगे। अखिल भारतीय चरखा संघकी उत्कल शाखाके मुख्य कार्यालयका पता है: स्वराज्य आश्रम, बरहमपुर, बी॰ एन॰ रेलवे।

[अंग्रेजीसे]

यंग इंडिया, ६-९-१९२८

 

२७५. लखनऊ के बाद

बारडोलीके तुरन्त बाद लखनऊमें[१] मिलनेवाली शानदार विजय, घटनाओंका एक सुन्दर संयोग प्रस्तुत करती है। आज पण्डित मोतीलालजी को जो गौरव अनुभव हो रहा होगा उसकी समानता दूसरा कौन कर सकता है? और वे उसके अधिकारी भी हैं। लेकिन यदि प्रत्येक व्यक्तिने एक मनसे सम्मेलनकी कार्यवाहीको सफल बनानेका निश्चय न कर लिया होता तो पण्डित मोतीलालजी भी कुछ नहीं कर सकते थे। हिन्दुओं अथवा मुसलमानोंके लिए राहमें रुकावट बनकर खड़े हो जाना बहुत आसान था। सिख लोग भी चाहते तो वैसा कर सकते थे। लेकिन नेहरू समिति द्वारा धैर्यपूर्वक किये गये प्रयत्नोंके परिणाम पर पानी फेरनेकी हिम्मत किसीमें नहीं थी। फिर आश्चर्य नहीं, यदि अदम्य आशावादी पण्डित मालवीयजी ने यह कहा कि १९३० तक स्वराज्य मिल जायेगा।

किन्तु इस सुखद परिणामका श्रेय पण्डित नेहरूके साथ-साथ डॉ॰ अन्सारीको भी है। उन्होंने लखनऊमें सम्मेलनकी कार्यवाही के कुशल संचालन और दिशा-निर्देशनके रूपमें जो प्रत्यक्ष सहायता दी, उससे कहीं बड़ी उनके द्वारा दी गई अप्रत्यक्ष सहायता थी। वे नेहरू समितिके इशारे पर सदा उसकी सेवा-सहायताके लिए तैयार रहे। उन्होंने मुसलमानोंपर अपने अप्रतिम प्रभावका प्रयोग करके उनकी ओरसे विरोधकी सम्भावना समाप्त कर दी। हिन्दुओंका उनकी स्पष्ट ईमानदारी और देशभक्तिसे प्रभावित होना अनिवार्य था। सर तेजबहादुर सप्रूके नेतृत्वमें उदार दलके लोगोंने सम्मेलनको वह बल प्रदान किया जो उसे अन्यथा प्राप्त न हो पाता। डॉ॰ बेसेंटके साथ मैं भी यह आशा प्रकट करता हूँ कि वे लोग फिरसे राष्ट्रीय संगठन कांग्रेसमें शामिल हो जायेंगे। इसके लिए उनको अपने पृथक् अस्तित्वको मिटा देनेकी जरूरत नहीं पड़ेगी – ठीक

 

  1. जहाँ २८, २९ और ३० तारीखको सर्वदलीय सम्मेलन हुआ था, जिसमें भारत में औपनिवेशिक स्वराज्य प्राप्त करने के पक्ष में नेहरू समिति द्वारा तैयार की गई रिपोर्टका सर्वसम्मतिसे अनुमोदन किया गया था।