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२७७. पत्र: जॉन हेन्स होम्सको

सत्याग्रहाश्रम, साबरमती
७ सितम्बर, १९२८

प्रिय मित्र,

श्री एन्ड्रयूज एक अंग्रेजी फर्मके लिए 'माई एक्सपेरिमेंट्स विद ट्रुथ'को संक्षिप्त कर रहे हैं। मैंने उनके काममें कोई हस्तक्षेप नहीं किया है, क्योंकि मुझे लगा कि इससे मैकमिलन कम्पनीपर कोई असर नहीं पड़ता। लेकिन अपने और मैकमिलन कम्पनीके बीच हुए करारको दोबारा पढ़नेके बाद मैंने पाया कि ऐसा हो तो सकता है कि कम्पनी किसी भी संक्षिप्त संस्करणके प्रकाशनको करारके खिलाफ माने। यदि ऐसी बात हो तो कृपया मुझे सूचित करें। खुद मैं तो यह महसूस करता हूँ, कि इसके अध्याय अभी लिखे ही जा रहे हैं और यह सिलसिला अभी कई महीने जारी रहेगा इसलिए कम्पनीके लिए इस करारका कोई महत्त्व नहीं है। यदि कम्पनी चाहे तो मैं करारको रद करनेके लिए तैयार हूँ। इन अध्यायोंको पुस्तक रूपमें प्रकाशित कराकर पैसा कमानेमें मेरी कोई दिलचस्पी नहीं है। लेकिन इन अध्यायोंके अन्तिम रूपसे पुस्तकाकार छपनेसे पूर्व इनके संक्षिप्त रूपके प्रकाशनमें मैं बाधा नहीं डालना चाहूँगा। अगर मैकमिलन कम्पनी इन अध्यायोंको तत्काल कई जिल्दोंमें प्रकाशित करने जा रही हो तो वह संक्षिप्त संस्करणों अथवा कुछ चुने हुए अध्यायोंके प्रकाशनमें हस्तक्षेप कर सकती है, लेकिन यदि वह इन्हें जिल्दोंमें प्रकाशित नहीं करने जा रही हो और न ही करारको रद करने जा रही हो तो जब तक सारे अध्याय कम्पनीको सौंप दिये जानेके लिए तैयार नहीं हो जाते तबतक उसे इंग्लैंडमें अथवा भारतसे बाहर कहीं भी किसी संक्षिप्त संस्करणके प्रकाशन पर कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए।

हृदयसे आपका,


रेवरेंड जॉन हेन्स होम्स
१२ पार्क एवेन्यू
न्यूयार्क सिटी
(यू॰ एस॰ ए॰)

अंग्रेजी (एस॰ एन॰ १४७६९) की फोटो-नकलसे।