पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 37.pdf/२८७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

 

२८०. पत्र: क॰ सदाशिवरावको

सत्याग्रहाश्रम, साबरमती
७ सितम्बर, १९२८

प्रिय सदाशिवराव,

आपका पत्र मिला। यदि हम अपनी चिन्ता किये बिना देशकी सेवा करना चाहते हैं तो हम तब भी प्रसन्न होंगे जब दुनिया हम पर पत्थर फेंकेगी या हमारे साथ बुरा व्यवहार करेगी। और मुझे विश्वास है कि यदि आप इस आघातको शान्त मनसे झेल लेंगे और सचमुच यह मानेंगे कि आपके सिरसे एक बोझ उतर गया है तो आप अपने-आपको और भी मजबूत तथा बेहतर पायेंगे।

हृदयसे आपका,

श्रीयुत सदाशिवराव करनाड
कोडाईबेल, मंगलोर

अंग्रेजी (एस॰ एन॰ १३५११) की माइक्रोफिल्मसे।

 

२८१. पत्र: धनगोपाल मुखर्जीको[१]

सत्याग्रहाश्रम, साबरमती
७ सितम्बर, १९२८

प्रिय मित्र,

आपका पत्र मिला। मैंने अपने लेखोंमें टॉल्स्टॉय अथवा किसी भी लेखककी चीजको आभार स्वीकार किये बिना कभी उद्धृत नहीं किया है। और मैं नहीं समझता कि अपने लेखोंमें मैंने उद्धरणोंका ज्यादा उपयोग किया है। उपयोग न करनेका कारण यह नहीं है कि मैं उद्धरण देना नहीं चाहता, बल्कि यह है कि मैंने बहुत कम पढ़ा है और जो कुछ पढ़ा है, उसे स्मरणसे उद्धृत करनेकी योग्यता तो मुझमें और भी कम है।

मैंने ब्रह्मचर्यकी प्रतिज्ञा निस्सन्देह टॉल्स्टॉयकी शिक्षासे काफी अवगत हो जाने के बाद ही ली। और जहाँ मोटे तौर पर यह बात बिलकुल सही है कि मेरा जीवन

 

  1. धनगोपाल मुखर्जीने अपने १४ अगस्तके पत्र में अन्य बातोंके अलावा गांधीजी से टॉल्स्टॉयके साथ उनके सम्बन्धोंके विषयमें यंग इंडिया में लिखनेका अनुरोध किया था। इस विषयकी चर्चा गांधीजी ने अपने एक भाषण में की, जो १०-९-१९२८ के यंग इंडिया में प्रकाशित हुआ था; देखिए "भाषण: टॉल्स्टॉयकी जन्म-शताब्दीपर", १०-९-१९२८।