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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

'गीता' की शिक्षा पर आधारित है, वहाँ मैं दावे के साथ यह नहीं कह सकता कि ब्रह्मचर्यके सम्बन्धमें मेरे निर्णयको टॉल्स्टॉयके लेखों और शिक्षाने प्रभावित नहीं किया है।

यह सब तो हुआ आपके सन्तोषके लिए। आपने जो महत्त्वपूर्ण प्रश्न रखा है, उस पर मैं 'यंग इंडिया' के पृष्ठोंमें फिर कभी विचार करनेकी आशा रखता हूँ।

हृदयसे आपका,

धनगोपाल मुखर्जी

अंग्रेजी (एस॰ एन॰ १४३७८) की फोटो-नकलसे।

 

२८२. पत्र: हे॰ सॉ॰ लि॰ पोलकको

सत्याग्रहाश्रम, साबरमती
७ सितम्बर, १९२८

तुम्हारा पत्र मिला और मिलीका[१] भी। एक लम्बे अर्सेके बाद मिलीके हाथका लिखा पत्र पाकर मुझे बहुत खुशी हुई और तुम कैलेनबैकसे मिल सके, यह जानकर तो बहुत ही खुशी हुई। मिलीको अलगसे पत्र लिखनेकी तो मैं कोशिश भी नहीं कर सकता। मेरा जीवन दिन-प्रतिदिन अधिकाधिक कर्मसंकुल और कठिन होता जा रहा है। लेकिन इस सबके बावजूद मेरी सेहत बहुत अच्छी चल रही जान पड़ती है।

देवदास दिल्लीमें राष्ट्रीय मुस्लिम विद्यापीठ [जामिया मिलिया] के विद्याथियोंको कताई, धुनाई और हिन्दी सिखाता है। रामदास बारडोलीमें है और जब सत्याग्रह चल रहा था तब भी वह वहीं था। अब वह रचनात्मक कार्यो, मद्यनिषेध, कताई, समाजसुधार आदिमें लगा हुआ है।

हृदससे तुम्हारा,

वेल्श मॉडलका चरखा[२] पिछले हफ्ते नहीं आया। शायद कल आये।

पता नहीं, लिऑन मुझे कभी याद भी करता है या नहीं।

हेनरी सॉ॰ लि॰ पोलक
२६५ स्ट्रांड
लन्दन, डब्ल्यू॰ सी॰ २

अंग्रेजी (एस॰ एन॰ १४३८०) की फोटो-नकलसे।

 

  1. श्रीमती पोलक।
  2. ऊन कातनेके लिए।