पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 37.pdf/२९२

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२८६. पत्र: आर॰ डी॰ प्रभुको

सत्याग्रहाश्रम, साबरमती
८ सितम्बर, १९२८

प्रिय मित्र,

आपका पत्र मिला। यदि स्नान करने से इनामदारको सन्तोष होता है तो आप स्नान करें, इसमें विश्वास रखने के कारण नहीं बल्कि इनामदारकी खातिर और इसलिए अपने उन अस्पृश्य भाइयोंकी खातिर जिनकी आप सेवा करना चाहते हैं।

यदि मराठा लड़के इसलिए स्कूल छोड़ देते हैं कि उसमें महार लड़के भी पढ़ते हैं तो आप उनके स्कूल छोड़नेकी परवाह न करें, बल्कि हर कीमतपर महार लड़कोंको पढ़ाना जारी रखें।

हृदससे आपका,

श्रीयुत आर॰ डी॰ प्रभु
विनजाने
डाकघर-हलकर्णी
महल चाँदगढ़, जिला वेलगाँव

अंग्रेजी (एस॰ एन॰ १३५१४) की माइक्रोफिल्म से।

 

२८७. पत्र: पी॰ ए॰ वाडियाको

सत्याग्रहाश्रम, साबरमती
८ सितम्बर, १९२८

प्रिय मित्र,

महादेवको लिखा आपका पत्र देखा। महादेव तो अभी वल्लभभाईके साथ शिमला गया हुआ है। यदि सम्भव हो तो 'रिट्रीट'में[१] शामिल होकर मुझे बड़ी खुशी होगी। लेकिन अभी जहाँ तक देख सकता हूँ, मेरे आ सकनेकी सम्भावना नजर नहीं आती। फिर भी, इतना पहले आपसे 'न' कहनेकी जरूरत नहीं है। यह अवश्य कहूँगा कि मेरे आनेकी आशा रखकर आप कुछ न करें। अगर आ भी सका तो मुझे बस एक अतिथि समझ लीजिएगा। इसलिए मैं चाहूंगा कि समय निकट आने पर आप मुझे याद दिला दें।

 

  1. इसका आयोजन बम्बईका अन्तर्राष्ट्रीय मैत्री संघ करनेवाला था।