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पत्र: गंगाधररावको

 

भारतको भाषावार प्रान्तोंमें बांटनेकी तजवीजके बारेमें कही आपकी बातोंको मैंने ध्यान से पढ़ा है। मेरा खयाल यह है कि बाहरसे लादी हुई किसी चीजके द्वारा हम लोगोंमें राष्ट्रीयताकी भावनाकी वृद्धि नहीं कर सकते। इसलिए मैं समझता हूँ कि स्वाभाविक भाषावार खण्डोंको मान्यता देनेसे हमारा कोई नुकसान नहीं होगा, बशर्ते कि विशिष्ट वर्गों और सर्वसाधारण, दोनोंके लिए विभिन्न भाषाओंके स्थान पर किसी एक ही भाषाको प्रतिष्ठित करनेका इरादा न हो।

हृदयसे आपका,

अंग्रेजी (एस॰ एन॰ १३५१५) की फोटो-नकलसे।

 

२८८. सन्देश: 'खादी-विजय' को[१]

सत्याग्रहाश्रम, साबरमती
८ सितम्बर, १९२८

'खादी-विजय' का अर्थ है, खादीकी जय। यह एक अच्छी बात है कि खादीके लिए एक मासिक पत्र निकाला जाये, लेकिन इससे भी ज्यादा अच्छी बात तो यह होगी कि लोग, विशेषकर व्यापारी वर्गके लोग, अपने-आपको खादीमें लगायें। यदि वे ऐसा करेंगे तो खादीकी विजय निश्चित है।

अंग्रेजी (एस॰ एन॰ १३५१६) की माइक्रोफिल्मसे।

 

२८९. पत्र: गंगाधररावको

सत्याग्रहाश्रम, साबरमती
८ सितम्बर, १९२८

प्रिय गंगाधरराव,

काकाने मुझे बताया है कि आप श्रीयुत नंजप्पाके लिए एक सन्देश चाहते हैं, सो साथमें वह सन्देश[२] भेज रहा हूँ।

मैं आशा करता हूँ कि अब आप अवसाद और रोगसे छुटकारा पा चुके होंगे और पूनामें हुई अपनी विजयोंके कारण अब आप अपनी आयुसे २० वर्ष कम दिखाई दे रहे होंगे। उम्मीद है कि खादीके प्रति यह नया उत्साह सदैव बना रहेगा।

हृदयसे आपका,

अंग्रेजी (एस॰ एन॰ १३५१७) की फोटो-नकलसे।

 

  1. यह सन्देश गंगाधररावको लिखित ८ सितम्बर, १९२८ के पत्रके साथ भेजा गया था।
  2. देखिए पिछला शीर्षक।