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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

 

ऐसा नहीं कि टॉल्स्टॉयने जो कहा वह दूसरोंने न कहा हो; परन्तु उनकी भाषामें चमत्कार था और इसका कारण यह है कि उन्होंने जो कहा उसका पालन किया। गद्दी-तकियों पर बैठनेवाले टॉल्स्टॉय मजदूरी में जुट गये, आठ घंटे खेतीका या मजदूरीका दूसरा काम उन्होंने किया। इससे यह न समझें कि उन्होंने साहित्यका कुछ काम ही नहीं किया था। शरीर श्रमको अपनानेके बादसे उनका साहित्य और भी अधिक शोभित हुआ। उन्होंने अपनी पुस्तकोंमें जिसे सर्वोत्तम कहा है वह है 'कला क्या है?' यह उन्होंने इस यज्ञ-कालकी मजदूरीमें से बचे समयमें लिखी थी। मजदूरीसे उनका शरीर क्षीण नहीं हुआ; और उन्होंने स्वयं यह माना था कि इससे उनकी बुद्धि अधिक तेजस्वी हुई तथा उनके ग्रन्थोंको पढ़नेवाले भी कह सकते हैं कि यह बात सच है।

यदि हम टॉल्स्टॉय के जीवन से लाभान्वित होना चाहते हों तो उनके जीवनमें उल्लिखित तीन बातें सीख लेनी चाहिए। युवक-संघके सदस्योंके सामने बोलते हुए मैं याद दिलाना चाहता हूँ कि आपके सामने दो मार्ग हैं: एक स्वेच्छाचारका और दूसरा संयमका। यदि आपको यह प्रतीत होता हो कि टॉल्स्टॉयने जीना और मरना जाना था तो आप देख सकते हैं कि दुनियामें सबके और विशेषतः युवकोंके लिए संयमका मार्ग ही सच्चा मार्ग है; हिन्दुस्तान में तो खास तौरपर है ही। स्वराज्य कोई सरकारसे लेनेकी वस्तु नहीं है। अपनी अवनतिके कारणोंकी जाँच करनेपर आप स्वयं देख सकेंगे कि उसमें सरकारकी अपेक्षा हमारा हाथ ज्यादा है। आप देखेंगे कि स्वराज्यकी कुंजी हमारे ही हाथमें है; वह न तो इंग्लैंडमें हैं, न शिमलेमें और न दिल्ली में। वह कुंजी तो आपकी और मेरी जेबमें है। अपने समाजकी अधोगति और जड़ताको दूर न कर पानेका कारण हमारी ढिलाई है। यदि हम इसे निकाल दें तो जगत् में ऐसी कोई भी सत्ता नहीं है जो हमें अपनी उन्नति करने, स्वराज्य प्राप्त करने से रोक सके। अपने मार्ग में हम स्वयं बाधक हैं और आगे बढ़ने से इनकार करते हैं। युवक-संघके सदस्योंसे मैं कहता हूँ कि आपके लिए यह सुन्दर समय है; दूसरे रूप में कहूँ तो यह विषमकाल है, तीसरी रीतिसे यदि कहूँ तो यह परीक्षाकाल है। आप विश्वविद्यालयकी परीक्षा देकर कोई उपाधि पा लें तो वही काफी नहीं है। जब आप जगत्की परीक्षा और ठोकरोंमें से उत्तीर्ण होंगे तभी आपको सच्ची उपाधि मिली मानी जा सकती है। आपके लिए यह सन्धिकाल है; सुवर्णकाल है। उसमें आपके सामने दो मार्ग हैं। यदि एक उत्तरको जाता है तो दूसरा दक्षिणको; एक पूर्व जाता है तो दूसरा पश्चिम जाता है। इनमें से आपको एकका चुनाव करना है। उनमें से आप कौन-सा रास्ता पसन्द करें, इसका विचार आपको करना होगा। देश में पश्चिमसे तरह-तरहकी हवाएँ — मेरी दृष्टिमें विषाक्त हवाएँ — आती हैं। यह सच है कि टॉल्स्टॉय-जैसोंके जीवनकी सुन्दर हवा भी आती है। परन्तु वह प्रत्येक स्टीमरमें थोड़े ही आती है? प्रत्येक स्टीमरमें कहो या प्रतिदिन कहो। कारण यह है कि प्रतिदिन कोई-न-कोई स्टीमर बम्बई या कलकत्ता बन्दरगाहमें आता ही है। दूसरे विदेशी सामानकी तरह उसमें विदेशी साहित्य भी आता है। उसमें प्रति-