पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 37.pdf/३२०

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३०८. पत्र: च॰ राजगोपालाचारीको

सत्याग्रहाश्रम, साबरमती
१४ सितम्बर, १९२८

प्रिय राजगोपालाचारी,

आपका पत्र मिला। केशूके खाने-पीने और पढ़ाई पर ६० रुपये खर्च करना तो मेरे लिए उचित नहीं होगा। मगर साथ ही मैं यह स्वीकार करता हूँ कि श्री कॉक्सकी शर्तें बिलकुल वाजिब हैं। श्री बेजरम और श्री कॉक्स दोनोंसे मेरा धन्यवाद कहिए। अब मैं कोई और प्रबन्ध कर रहा हूँ। मैं तय नहीं कर पाया हूँ कि क्या करना है और अभी तो केशू भी यहाँ नहीं है। राजकोटसे लौटेगा तो तय कर सकूँगा कि क्या करना है।

मैसूर राज्य में हिन्दू-मुस्लिम झगड़ेकी यह क्या बात चल रही है? 'टाइम्स' में[१] तो बराबर सनसनीखेज सुखियाँ आती रहती हैं और उतनी हो सनसनीखेज रिपोर्ट भी। उनसे तो उस राज्यका नाम बड़ा बदनाम होता है। क्या यह सब सच है, या यह राज्यके खिलाफ कोई साजिश है? 'टाइम्स' में जो कुछ छप रहा है, उसके बारेमें क्या आपको कोई जानकारी है?

महादेव २० के आसपास लौटेगा। आशा है, आप दोनों धीरे-धीरे प्रगति कर रहे हैं।

अंग्रेजी (एस॰ एन॰ १३५२२) की फोटो-नकलसे।

 

३०९. पत्र: निरंजन पटनायकको

सत्याग्रहाश्रम, साबरमती
१४ सितम्बर, १९२८

प्रिय निरंजन बाबू,

यह रहा मेरा सन्देश:

"मुझे आशा है कि सर प्र॰ च॰ राय और सतीश बाबूके उड़ीसाके दौरेका सुफल अवश्य निकलेगा। हम बहुत सारा जमा पड़ा माल बेच सकेंगे। यद्यपि उड़ीसाके ग्रामीण बड़े गरीब हैं, लेकिन शहरोंमें रहनेवाले लोग उतने गरीब नहीं हैं कि आपके पास जो खादी है उसे वे खरीद न सकें। इसलिए उनमें देशके गरीबीके मारे लोगोंके लिए कुछ करनेकी आकांक्षा और उनके प्रति प्रेम-भर होना जरूरी है।"

हृदयसे आपका,

श्रीयुत निरंजन पटनायक
स्वराज्य आश्रम, बरहमपुर

अंग्रेजी (एस॰ एन॰ १३६८३) की फोटो-नकलसे।

 

  1. टाइम्स ऑफ इंडिया।