पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 37.pdf/३२३

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३१३. पत्र: बी॰ द लिग्टको

सत्याग्रहाश्रम, साबरमती
१४ सितम्बर, १९२८

प्रिय मित्र,

मैंने 'यंग इंडिया' में आपके पत्रका एक छोटा-सा उत्तर देनेकी कोशिश की है। इस अखबारकी एक प्रति मैं निशान लगाकर भेज रहा हूँ। बेशक, आप चाहें तो 'इवॉल्यूशन' में इसका अनुवाद छाप दें। यदि इस उत्तरमें आपके उठाये किसी मुद्दे पर विचार न किया गया हो तो वैसा बताने में संकोच न कीजिएगा।

हृदयसे आपका,

रेवरेंड बी॰ द लिग्ट
ऑनेक्स, जिनेवा

अंग्रेजी (एस॰ एन॰ १४३९५) की फोटो-नकलसे।

 

३१४. पत्र: मु॰ अ॰ अन्सारीको

१५ सितम्बर, १९२८

प्रिय डॉ॰ अन्सारी,

पत्रवाहक श्री मुहमम्द खाँ दक्षिण आफ्रिकामें मेरे साथ थे। इन दिनों ये रेलवे में काम करते हैं। ये कई वर्षोंसे बीमार रहते हैं। एक बार इन्होंने मुझसे हकीम साहबके नाम एक परिचय-पत्र माँगा था, जो मैंने इन्हें दे भी दिया था। ये बताते हैं कि हकीम साहबके इलाजसे कुछ दिनोंतक ये ठीक रहे। अब फिर इनकी बीमारी उभर आई है। और अब ये आपके नाम परिचय पत्र देने को कह रहे हैं। सो मैं यह पत्र इनके लिए खुशी-खुशी लिख रहा हूँ। मुझे मालूम है कि आप इन्हें जो भी सलाह देना सम्भव होगा जरूर देंगे।

हृदयसे आपका,

डॉ॰ मु॰ अ॰ अन्सारी
१ दरियागंज, दिल्ली

अंग्रेजी (एस॰ एन॰ १३५२४) की फोटो-नकलसे।

 
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