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३१८. अन्धश्रद्धा

श्री हरजीवन कोटक कश्मीरकी राजधानी श्रीनगरमें चरखा संघकी ओरसे खादीका कार्य कर रहे हैं, किन्तु खादी-सेवकका हृदय जहाँ भी किसीको दुःखी देखता है, अवश्य ही पसीज उठता है। इसलिए जब अमरनाथके यात्री अति वर्षाके कारण संकटग्रस्त हुए तब उन्होंने मुझे तारसे खबर भेजी। तार पाकर मैंने उनसे पूरा विवरण माँगा था। उसका मुझे यह उत्तर मिला है:[१]

कहाँ अमरनाथ और कहाँ मोटर लारी? एक समय ऐसा था जब असंख्य लोग कन्याकुमारीसे कश्मीरतक पैदल यात्रा करते थे और अनेक कष्ट सहकर अमरनाथ पर चढ़ते थे। प्राणोंका भय उस समय भी था । उस समय पुण्यकी खोजमें कितनोंने अपने प्यारे प्राण गँवाये होंगे, इसके आँकड़े आज हमारे पास नहीं हैं और न तब किसीके पास थे। वही सच्ची तीर्थ यात्रा थी।

आज तो ठेठ अमरनाथकी तलहटीतक, लारियाँ जैसे माल लेकर जाती हैं वैसे ही मोटरें यात्रियोंको लेकर जाती हैं और इस प्रकार यात्री सुखपूर्वक यात्रा करनेमें पुण्य समझते हैं। इसके बादका जो मार्ग पैदल अथवा घोड़ेसे तय करना रह जाता है, उसे यात्री किसी तरह पूरा कर लेते हैं। यदि कोई उन्हें अन्ततक लारियोंमें ले जाये अथवा हवाई जहाजसे अमरनाथके शिखरपर उतार दे तो वे इसी तरह जाना चाहेंगे।

इस प्रकार मनुष्य सुखकी खोज करता हुआ धर्म-भावनाके कारण कष्ट सहन करता है और मृत्यु आये तो उसका भी आलिंगन करता है। यह अन्धश्रद्धा है। अन्धश्रद्धा सुखकी खोज करती हुई दुःख सहन करनेके लिए तैयार रहती है। सात्विक श्रद्धा दुःख सहन करनेमें सुख मानती है और जानती है कि हवाई जहाजपर बैठकर अमरनाथ जानेसे कुतूहल तो शान्त होगा, किन्तु वह सच्ची तीर्थ यात्रा नहीं है। सात्विक श्रद्धा तो नंगे पैर, ठिठुरते हुए ही यात्रा कराती है, काँटोंकी, जाड़े-गरमीकी और बाघ-भेड़ियोंकी तकलीफको बरदाश्त करती है और इसके बाद यदि यात्री अमरनाथ न पहुँचे तो भी उसे वहाँ पहुँचनेका फल देती है। ऐसे यात्री के सामने विमान, मोटर, रेल और पैदल इन चारोंमें से यदि एकको चुननेकी बात हो तो वह पैदल चलना ही पसन्द करके सुखपूर्वक यात्रा करता है। जब लोगोंमें ऐसी दृढ़ता आ जायेगी तब उनके धर्मका स्वरूप ही भिन्न होगा, तब वे अमरनाथकी यात्रामें और स्वराज्यकी यात्रा में कोई भेद ही न मानेंगे। वे अमरनाथकी यात्रा करते हुए कष्ट सहने और स्वराज्यके लिए फाँसीपर चढ़नेमें पुण्य मानेंगे। जो अपना कदम पीछे हटायेगा, कहना चाहिए कि वह धर्मको नहीं जानता।

 

  1. अनुवाद यहाँ नहीं दिया जा रहा है। पत्रमें बताया गया था कि लगभग ५,००० स्त्री-पुरुष और बच्चे अमरनाथकी यात्राके दौरान रास्ते में मूसलाधार वर्षांमें घिर गये। एक सप्ताहतक निरन्तर वर्षा होते रहनेके कारण सभी संचार-साधन पूरी तरह ठप्प हो गये थे।