३३२. पत्र: ई॰ सी॰ डेविकको
सत्याग्रहाश्रम, साबरमती
२१ सितम्बर, १९२८
आपके पत्र और 'स्टुडेंट वर्ल्ड[१]' के जुलाई तथा अप्रैलके अंकोंकी प्रतियोंके लिए धन्यवाद।
दिसम्बर माहमें मैसूरमें होनेवाली कांफ्रेंसके सम्बन्ध में आपन जो-कुछ लिखा है, उसपर मैंने गौर किया है। अभी तक मैं आपको कोई निश्चित उत्तर देने की स्थितिमें नहीं हूँ और मैं आपको इस बातके लिए तो आगाह कर ही चुका हूँ कि कांफ्रेंस में मेरे शामिल हो सकनेकी आशा रखकर कोई व्यवस्था न करें।
हृदयसे आपका,
५ रसल रोड, कलकत्ता
अंग्रेजी (एस॰ एन॰ १३५२९) की फोटो-नकलसे।
३३३. पत्र: चोइथराम पी॰ गिडवानीको
२१ सितम्बर, १९२८
मेरे लिए तो इस समय आश्रम से निकल सकना असम्भव है और वल्लभभाईके हाथों में पहले से ही बहुत काम पड़े हुए हैं। मेरे खयालसे, अभी वल्लभभाईको तकलीफ न देना ही ठीक होगा। उन्हें बारडोलीमें रचनात्मक कार्यक्रमको सुस्थिर आधारपर खड़ा करनेके लिए मुक्त छोड़ दीजिए। वास्तव में यह काम सरकारसे जूझने से भी ज्यादा कठिन है। फिर भी, मैं आपका पत्र वल्लभभाईके सामने रखूँगा और उनसे आपको जवाब लिखनेके लिए कहूँगा।
हृदयसे आपका,
हैदराबाद (सिन्ध)
अंग्रेजी (एस॰ एन॰ १३५३०) की फोटो-नकलसे।
- ↑ वर्ल्डस् स्टुन्डेट क्रिश्चिएन फेडरेशनकी।