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'चौंकानेवाले निष्कर्ष'
(ख) गरीब वर्गोंमें इससे बहुतेरे अनचाहे बच्चे पैदा होते हैं, जिनका पालन-पोषण असम्भव हो जाता है।
(ग) ऊँचे वर्ग के लोगोंमें अनियन्त्रित विषय-भोगके कारण गर्भ निरोधक साधनों और गर्भपातके तरीकोंको काममें लाया जाता है। अगर आम वर्गकी स्त्रियोंको सन्तति-निग्रहके नामपर या और किसी नामपर गर्भनिरोधक तरीके सिखाये जायेंगे, तो समस्त जाति सामान्यतः रोगी, दुराचारी और भ्रष्ट हो जायेगी और अन्त में नाशको प्राप्त होगी। (रेखांकित पंक्तियाँ लेखकने तिरछे टाइपमें दी हैं।)
(घ) अतिशय विषय-भोग पुरुषकी वह शक्ति नष्ट कर देता है, जो अच्छी आजीविका कमानेके लिए जरूरी होती है। आज अमेरिकामें विधुरोंकी अपेक्षा विधवाओंकी संख्या २० लाख अधिक है। इनमें से बहुत थोड़ी स्त्रियाँ युद्धके कारण विधवा हुई होंगी। (रेखांकित पंक्तियाँ लेखकने तिरछे टाइपमें दी हैं ।)
(ङ) वैवाहिक जीवनकी वर्तमान स्थिति से उत्पन्न अनियन्त्रित विषय-भोग स्त्री और पुरुष दोनों में अपने जीवनकी विफलताका बोध भरता है। आज दुनियामें जो गरीबी है, बड़े-बड़े नगरोंमें जो गन्दी बस्तियाँ हैं, उनका कारण यह नहीं है कि करनेको कोई लाभदायक काम नहीं है, बल्कि यह है कि लोग अनियन्त्रित और अतिशय विषय-भोगमें डूबे रहते हैं, जो विवाह-सम्बन्धी वर्तमान नियमोंका स्वाभाविक परिणाम है। (रेखांकित पंक्तियाँ लेखकने तिरछे टाइपमें दी हैं।)
(च) मानव-जातिके भविष्यकी दृष्टिसे सबसे गम्भीर वस्तु गर्भ-कालमें किया जानेवाला विषय-भोग है।

इसके बाद इस बुराईको लेकर चीन और हिन्दुस्तानकी आलोचना की गई है, जिसका हवाला देने की जरूरत नहीं। यहाँ हम पुस्तिकाके आधे भागतक पहुँच जाते है। बाकी आधे भाग में इस बुराईसे बचने के उपाय बताये गये हैं।

उपायोंसे सम्बन्ध रखनेवाली मुख्य बात यह है कि पति और पत्नी दोनोंको हमेशा अलग-अलग कमरोंमें रहना चाहिए, इसलिए दोनोंको आवश्यक रूपमें अलग बिस्तरपर सोना चाहिए और तभी मिलना चाहिए जब दोनोंकी — खासकर पत्नीकी — सन्तानोत्पत्तिकी इच्छा हो। लेखकने विवाहके कानूनोंमें जो परिवर्तन सुझाये हैं, उन्हें मैं यहाँ देनेका इरादा नहीं रखता। एक बात दुनिया भरमें सारे विवाहों पर समान रूप से लागू होती है। वह है, पति-पत्नीके लिए एक कमरेमें और एक ही बिस्तर पर सोना। इसकी लेखकने तीव्र निन्दा की है, जो मेरे विचारसे सर्वथा उचित