पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 37.pdf/३५५

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३५१. बिजोलियामें खादी-कार्य

नीचे खादी कार्यकर्त्ताओंके लिए श्रीयुत जेठालाल गोविन्दजी द्वारा तैयार किये गये एक विस्तृत विवरणका सार[१] दिया जा रहा है। श्री जेठालाल एक परम अध्यवसायी कार्यकर्ता हैं। उन्होंने बिना किसी बाहरी मददके खादी तैयार करनेका तरीका ढूंढ़ निकाला है। श्रीयुत जेठालाल गोविन्दजीको अपने तरीकेपर अडिग विश्वास है। चाहे कोई उनसे सहमत हो या नहीं, उन्होंने चित्तकी जिस एकाग्रता और लगन से यह तरीका ढूँढ़ा है, उसकी प्रशंसा किये बिना कोई नहीं रह सकता। उन्होंने स्वेच्छा से अंगीकार किये इस कार्यको जिस तल्लीनतासे सम्पन्न किया वह अनुकरणीय है। उनमें ऐसा उत्साह है जो पराजय नहीं जानता। ऐसे कार्यकर्त्ताके अनुभव राष्ट्रसेवी जनोंके लिए स्वभावतः मूल्यवान होंगे।

[अंग्रेजीसे]

यंग इंडिया, २७-९-१९२८

 

३५२. अभय आश्रम

यह बंगालकी एक सुसंचालित संस्था है, जिसे राष्ट्र-सेवाके उद्देश्य से बहुतसे नवयुवकोंने अपनेको अर्पित कर दिया है। 'यंग इंडिया' के पाठक अभय आश्रमसे अपरिचित नहीं हो सकते, क्योंकि इन स्तम्भोंमें उसकी चर्चा अनेक बार की गई है। सन् १९२७ की रिपोर्ट मेरे सामने है। पुस्तिकाके रूपमें छपी ३५ पृष्ठोंकी यह सचित्र रिपोर्ट निरन्तर प्रगतिका लेखा-जोखा प्रस्तुत करती है। डॉ॰ सुरेशचन्द्र बनर्जी प्रबन्ध-समितिके प्रधान हैं तथा डॉ॰ प्रफुल्लचन्द्र घोष इसके मन्त्री हैं। इसके १३ सदस्य हैं, जिन्होंने निर्भयता, सत्य, प्रेम, अस्तेय, श्रम, पवित्रता और देशभक्तिका व्रत ले रखा है। आश्रमका उद्देश्य भारत-माताकी सेवा द्वारा आत्म-साक्षात्कार करना है। इसका मुख्य कार्यालय कोमिल्लामें है और प्रवृत्तियाँ हैं — सूत कातना, चिकित्सा-सम्बन्धी सहायता देना, अस्पृश्यताका निवारण, राष्ट्रीय शिक्षा, गो-पालन तथा कृषि। इन प्रवृत्तियोमें खादी सबसे व्यापक है। इसके द्वारा आश्रमने गत वर्ष ६६ हजार रुपये कारीगरोंमें बाँटें, जिनमें से २८ हजार बुनकरोंको, २७ हजार कतैयोंको, १,२०० से अधिक खादीपर कसीदा करनेवाली स्त्रियोंको, ३,००० से अधिक धोबियोंको और ६,००० से अधिक दर्जियोंको मिले। इस वर्ष इसका विक्रय एक लाख बयालीस हजारसे अधिकका हुआ। खादी-विभागने लाभमें काम किया। उत्पादन और बिक्री-व्यवस्थापर कुल बिक्रीका १३ प्रतिशत खर्च हुआ। लाभ १,२०० रु॰ से अधिकका हुआ। खादी विभागके पास पूरे समय कार्य करनेवाले ६३ कार्यकर्ता हैं, जो प्रान्त-भरमें फैले २०

 

  1. इसका अनुवाद यहाँ नहीं दिया जा रहा है; देखिए "खादीको स्वावलम्बन पद्धति", २३-९-१९२८।


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