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भाषण: एनी बेसेंटके जन्म-दिवसपर, अहमदाबादमें

सकेंगे कि जब ऊपरसे यह दिखाई देता है कि दुनिया प्रगति नहीं कर रही है, तब भी शायद व प्रगति कर रही हो। मैं परम आशावादी हूँ।

[अंग्रेजीसे]

इंडियन रिव्यू, अक्टूबर, १९२८

 

३५९. भाषण: एनी बेसेंटके जन्म-दिवसपर, अहमदाबादमें

१ अक्टूबर, १९२८

यहाँ आज शाम गांधीजी की अध्यक्षतामें डॉ॰ एनी बेसेंटकी बयासीवीं वर्षगाँठ मनाई गई। अनेक वक्ताओंने अत्यन्त भावपूर्ण शब्दोंमें उनको सम्मानांजलियाँ अर्पित कीं।

गांधीजी ने कहा कि डॉ॰ बेसेंटकी वर्षगाँठ मनाने का सबसे उचित तरीका यही होगा कि लोग उनके पद-चिह्नोंपर चलें। उन्होंने सदा ही अपनी कथनीको करनीमें परिणत किया है और उनमें अपने विश्वासोंके अनुरूप कर्म करनेका साहस है। उनके उद्गारोंमें अदम्य इच्छा और अटल संकल्पके दर्शन होते हैं।

गांधीजी ने कहा कि लोगोंको डॉ॰ बेसेंटके जीवनकी सादगी और आत्मविश्लेषणको क्षमताका अनुसरण करना चाहिए। उन्होंने स्पष्ट शब्दोंमें कहा:

यदि आप छोटी-छोटी बातों में भी उनकी ही तरहकी इच्छाशक्ति और दृढ़ संकल्पसे काम लें तो आप बड़े-बड़े काम कर सकते हैं। भारत स्वराज्य चाहता है, लेकिन क्या भारत उसके लिए उपयुक्त बन पाया है? भारतमाता बेड़ियों में जकड़ी हुई है और जब आप उन बेड़ियोंको तोड़कर स्वयंको स्वराज्यके उपयुक्त बना लेंगे, तभी आपको स्वराज्य मिल पायेगा और तब संसारकी कोई भी शक्ति उसे नहीं रोक सकेगी।

धर्म और राजनीतिका अलगाव दूर करनेका काम डॉ॰ बेसेंटने ही किया है। धर्म-रहित राजनीति शबके समान है। धर्मके बिना स्वराज्य किसी कामका नहीं होगा। गांधीजी ने अन्तमें कहा कि डॉ॰ बेसेंटने ही भारतको एक गहरी निद्रासे जगाया। डॉ॰ बेसेंट के लिए संसार में कोई भी कार्य असम्भव नहीं है। उनके जीवन की मुख्य विशेषताएँ हैं—दृढ़ संकल्प, सादगी, त्याग और तपश्चर्या। गांधीजी ने भारतके नवयुवकोंसे जोरदार अपील की कि वे अपने जीवनमें इनपर आचरण करनेकी प्रतिज्ञा करें।

[अंग्रेजीसे]

हिन्दू, २-१०-१९२८