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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

अपार जनशक्ति बेकार जा रही है, उसका कोई भी उपयोग केवल इसलिए नहीं हो पा रहा है कि हमारे यहाँ उसके अनुरूप संगठनका अभाव है।

[अंग्रेजीसे]

यंग इंडिया, ४-१०-१९२८

 

३७१. पत्र: एन॰ आर॰ मलकानीको

सत्याग्रहाश्रम, साबरमती
४ अक्टूबर, १९२८

प्रिय मलकानी,

तुम्हारा पिछला पत्र में तलाश नहीं कर पाया। अब तुम्हारे पिछले महीनेकी २७ तारीखके पत्रके बारेमें। देखता हूँ, तुम्हें ज्यादासे-ज्यादा इस महीनेके अन्ततक सहायता-कार्यसे छुट्टी मिल जायेगी। मैं जानता हूँ कि सिन्धमें तुम्हारे लिए काफी काम पड़ा है और मैं यह भी जानता हूँ कि तुम जहाँ भी काम करोगे, प्रभावोत्पादक ढंगसे ही करोगे। अब सवाल यही रह जाता है कि तुम्हें अन्तिम रूपसे चुनना क्या चाहिए। वैसे मैंने तो यह सोच रखा था कि तुम्हें प्रस्तावित अखिल भारतीय दलित वर्ग संघका मन्त्री बनाया जाये। लेकिन मैं इस मामलेमें तुम्हारा मार्गदर्शन नहीं कर सकता। तुम्हें उसी ओर जाना चाहिए जिस ओर जानेको खुद तुम्हारा मन कहे। यही सबसे अच्छा रहेगा। चुनाव तो आखिर तुम्हींको करना है और इसलिए तुम्हें वही काम चुनना चाहिए जो तुमको सबसे ज्यादा पसन्द हो और जिसे तुम अपने लिए सबसे अधिक उपयुक्त समझते हो। यदि सिन्धको तुम्हारी जरूरत है और तुम भी महसूस करते हो कि तुम्हें अपने आपको सिन्धके काममें ही खपा देना है तो फिर मुझे कुछ भी नहीं कहना है। हाँ, मनुष्यके लिए अन्तिम रूपसे निर्णय करना जहाँतक सम्भव है, वहाँतक तुम्हें अन्तिम निर्णय ही करना चाहिए।

तुमने अपनी पुत्री के बारेमें जो लिखा है उसपर मैंने गौर किया है। बात मुझे ज्यादा पसन्द नहीं आई। लेकिन मुझे यकीन है कि उस परिस्थितिमें जो कदम उठाना सबसे अच्छा रहा होगा, तुमने वही कदम उठाया है। तुम दो हजार रुपयेके खर्चको छोटी-सी चीज मानते हो। यह बात यदि इतनी पीड़ाजनक न होती तो मैं इसपर दिल खोलकर हँसता। इस नये युगके हम गरीब लोग तो दस रुपयेको भी इतनी छोटी चीज नहीं मानते। रामदासकी शादी कराने में शायद मेरा एक रुपया लगा था, यानी एक या दो नारियल और वर तथा वधूके लिए दो तकलियाँ, 'गीता' की दो प्रतियाँ और 'भजनावली' की दो प्रतियाँ। गुजरातमें तो आश्रमसे बाहरके लोग भी दो हजार रुपयेको एक बड़ी रकम लेखेंगे। मेरा खयाल है कि जमनालालजीने भी दो वर्ष पहले कमलाकी शादीपर शायद दो हजार रुपये खर्च नहीं किये थे। पर मैं जानता हूँ कि यदि मैं गुजरात के पैमाने या नये युगके पैमानेसे सिन्धको मापनेकी