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३७३. तार: एनी बेसेंटको[१]

[५ अक्टूबर, १९२८]

डॉ॰ बेसेंट,

आपका तार मिला। मुझे पूरा यकीन है कि देशके समर्थनके अभाव के कारण नेहरू द्वारा प्रस्तावित संविधानको असफलता अत्यन्त ही विनाशकारी सिद्ध होगी, जब कि ऐसे समर्थन से स्वाधीनता का लक्ष्य प्राप्त करने के प्रयत्नोंको कोई हानि नहीं पहुँचती। मैं यह तो मानता हूँ कि दलोंके बीच अधिकतम सहमति प्राप्त करना सदा ही अत्यावश्यक नहीं होता, फिर भी ऐसे मामलोंमें हमें सहमति पैदा करने की कोशिश करनी ही ही चाहिए, जिनमें राष्ट्रीय हितोंको कोई हानि पहुँचनेकी आशंका नहीं।

गांधी

अंग्रेजी (एस॰ एन॰ १३७००) की फोटो-नकलसे।

 

  1. सावरमतीमें ५ अक्टूबरको मिले एनी बेसेंटके उस तारके उतरमें, जिसमें कहा गया था: "फ्री प्रेसके प्रतिनिधिसे अपनी भेंटके दौरान श्रीनिवास अय्यंगारने कांग्रेसियोंसे अपील की है कि वे सर्वदलीय परिषद् में शामिल न हों क्यों कि उसके प्रस्तावके मसविदमें स्वाधीनताको एक लक्ष्यके रूपमें स्वीकार नहीं किया गया है। उन्होंने राजनीतिक दलोंके बीच अधिकतम सहमति पैदा करने के प्रयत्नोंके प्रति अविश्वास प्रकट किया है। मैं समझती हूँ कि सफलताके लिए अत्यावश्यक है कि आपकी स्पष्ट राय तुरन्त प्रकाशित की जाये। लखनऊ परिषद्का कल होनेवाला सम्मेलन भी कार्यकारिणीके हाथ मजबूत करनेके लिए ही शुरू किया जा रहा है।"