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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

यदि सरकारने अपने कृपापात्रको ही उसपर बैठा दिया तो शास्त्री द्वारा किया गया इतना अमूल्य कार्य बड़ी आसानी से मटियामेट हो जायेगा।

आश्रम में सब-कुछ ठीक चल रहा है; हाँ, इस बार मौसमी मलेरियाका कुछ जोर अवश्य है और यह जबतक है, तबतक थोड़ा कष्ट तो रहेगा ही।

मोहन

अंग्रेजी (एस॰ एन॰ १४४०९) की फोटो-नकलसे।

 

४०२. पत्र: सरोजिनी नायडूको

सत्याग्रहाश्रम, साबरमती
१२ अक्टूबर, १९२८

प्रिय मीरा,

आपका पत्र मिला। मेरे पत्रका पद्मजाने[१] जो उत्तर दिया है, वह भेज रहा हूँ। जब डॉक्टर लोग ही उसको सेनेटोरियम छोड़नेकी सलाह नहीं देते तो मैं कर ही क्या सकता हूँ? मैं उसे फिर पत्र लिखूँगा और जब-तब लिखता रहूँगा और उसके साथ सम्पर्क बनाये रहूँगा। आप बिलकुल निश्चिन्त होकर अपना कार्यक्रम पूरा करें। मेरी और आपकी अपेक्षा ईश्वर उसकी कहीं अच्छी देख-भाल कर लेगा और जब भी वह चाहेगा आपको और मुझे अपने साधनकी तरह प्रयुक्त कर लेगा।

मैं आशा करता हूँ कि इस दौरेमें आप अपना स्वास्थ्य ठीक रखेंगी। आशा है, आप समय-समयपर पत्र लिखती रहेंगी।

राजनीतिक वातावरण में कोई शान्ति नहीं है, और न वह स्पष्ट ही। बेचारे मोतीलालजी जितना उठा सकते हैं, कामका उतना बोझ उनके सिरपर मौजूद है।

श्रीमती सरोजिनी नायडू
मार्फत―टॉमस कुक ऐंड सन्स,
न्यूयॉर्क, संयुक्त राज्य अमेरिका

अंग्रेजी (एस॰ एन॰ १४४१०) की फोटो-नकलसे।

 
  1. सरोजिनी नायडूकी पुत्री।