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पत्र: विपिन बिहारी वर्माको

किन्तु मलिन विनोदके बारेमें भी यही बात है। ‘मलिन’ यानी विकार उत्पन्न करनेवाला।

तुमसे यह बात कहने की जरूरत तो नहीं थी, किन्तु फिलहाल आश्रममें इस बातको समझाने की आवश्यकता है। जब मैं अपने जीवनपर नजर डालता हूँ तो मुझमें भी यह ढिलाई दिखाई देती है। इसलिए तुम्हें पहलेसे चेताये दे रहा हूँ। सच बात तो यह है कि पवित्र जीवन नया जन्म ही है और वह ईश्वरकी कृपाके बिना नहीं मिलता।

जब लग गजबल अपनो बरत्यो
नेक सरयो नहि काम।

बापूके आशीर्वाद

गुजराती (सी॰ डब्ल्यू॰ ६०६२) की नकलसे।
सौजन्य: हरिभाऊ उपाध्याय
 

४१०. पत्र: विपिनबिहारी वर्माको

१५ अक्टूबर, १९२८

भाई विपिन,

आपका पत्र मीला है। मेरा आना या किसीको भेजना असंभवित सा है। साधु वास्वानीको[१] मोतीहारी तक आनेको ललचा सके हो इसलीये आप सबको धन्यवाद देता हूं। बिहारके छात्रोंको यह कहना अनावश्यक है की सच्ची विद्वत्ता जीवनकी पवित्रता बढ़ाने में और इसलीये सरलता, सादगी में है।

आपका,
मोहनदास गांधी

श्री विपिनबिहारी
स्वागत समिति
छात्र-सम्मेलन
मोतीहारी
बिहार

सी॰ डब्ल्यू॰ ९१२८ की फोटो-नकलसे।

 
  1. टी॰ एल॰ वास्वानी।