सुधारोंका मुझे कोई सीधा बना-बनाया रास्ता नहीं दिखाई पड़ता―बस एक ही रास्ता है कि लगातार कोशिश करते रहें और आवामकी रायको सुधारोंके हकमें मोड़ते चलें।
हृदयसे आपका,
मो॰ क॰ गांधी
खारधार
कराची
अंग्रेजी (जी॰ एन॰ २३३) की फोटो-नकलसे।
४१४. पत्र: डॉ॰ सी॰ मुत्युको
सत्याग्रहाश्रम, साबरमती
१६ अक्टूबर, १९२८
आपका पत्र मिला। कृपया मुझसे किसी अपीलपर हस्ताक्षर करनेके लिए मत कहिए। आप देखेंगे कि मैं स्वयं अपनी ओरसे जारी की गई अपीलोंके अलावा किसी भी और अपीलके साथ अपना नाम नहीं जुड़ने देता। इसका सीधा-सा कारण यह है कि अगर मैं एक अपीलपर हस्ताक्षर कर दूँ तो फिर मुझे दूसरी कई अपीलों पर भी हस्ताक्षर करने पड़ेंगे और मुझे यह बात कतई पसन्द नहीं है। लेकिन आशा है कि आप सेनेटोरियमका काम सम्पन्न करके अपनी एक महत्वाकांक्षा पूरी कर सकेंगे।
हृदयसे आपका,
९ मॉन्टिएथ रोड, एगमोर, मद्रास
अंग्रेजी (एस॰ एन॰ १३५५५) की माइक्रोफिल्मसे।