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तार: एन॰ सी॰ केलकरको

आफ्रिकासे आनेवाले पत्रोंसे पता चलता है कि वहाँके भारतीय श्रीयुत शास्त्रीके निकट भविष्य में वहाँसे प्रस्थान करनेकी बात सोचकर कितने काँप उठते हैं। जिस पुनीत कार्यको श्रीयुत शास्त्रीने इतनी सफलतापूर्वक आरम्भ किया और जिसे उन्होंने इतनी खूबीके साथ निभाया, यदि उसे जारी रखने के लिए कोई सुयोग्य उत्तराधिकारी न मिला तो बड़ा अनर्थ हो जायेगा। मैं तो आशा करता हूँ कि वाइसराय-भवनमें अब यह परम्परा प्रतिष्ठित हो चुकी है कि दक्षिण आफ्रिका-स्थित भारतके प्रतिनिधिके स्थानको एक ऐसा पक्षातीत स्थान माना जायेगा जिसका उपयोग सरकार और सभी लोकप्रिय दल सम्मिलित रूपसे कर सकते हैं। हमें आशा रखनी चाहिए कि उनका उत्तराधिकारी कोई ऐसा व्यक्ति चुना जायेगा जो सरकार और जनता दोनोंको समान रूपसे स्वीकार्य होगा और जो केवल भारत सरकारका ही नहीं, बल्कि भारतीय जनताका भी सच्चा प्रतिनिधित्व करेगा।

[अंग्रेजी से]
यंग इंडिया, १८-१०-१९२८
 

४१८. तार: एन॰ सी॰ केलकरको[१]

१८ अक्टूबर, १९२८


अन्य कारणोंके अतिरिक्त, ऐसे सम्मेलनको सफल बनानेके लिए भी मैं चाहूँगा कि मुझे न बुलाया जाये।

गांधी

अंग्रेजी (एस॰ एन॰ १३७०५) की फोटो-नकलसे।

 
  1. यह केलकरके पूनासे भेजे गये १७ अक्टूबरके तारके उत्तरमें दिया गया था। तार इस प्रकार था: “यदि हम नेहरू रिपोर्ट और लखनऊ प्रस्तावोंके समर्थन और प्रचारके लिए साइमन कमीशनके प्रस्थानसे एक दिन पहले २७ तारीखको पूनामें बम्बई प्रेसीडेन्सी सर्वदलीय सम्मेलन बुलानेका फैसला करें तो क्या आप उसकी अध्यक्षता स्वीकार कर सकेंगे? आपका तार मिलनेके बाद ही अन्तिम निर्णय सूचित करूँगा।”