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पत्र: मोतीलाल नेहरूको

 

कांग्रेसियोंके पास जाने के लिए आप मेरे इस पत्रका जो भी इस्तेमाल चाहें कर सकते हैं।

हृदयसे आपका,

श्रीयुत टी॰ आर॰ फूकन
गोहाटी (असम)

अंग्रेजी (एस॰ एन॰ १३५६४) की माइक्रोफिल्मसे।

 

४२५. पत्र: महाराजा नाभाको

सत्याग्रहाश्रम, साबरमती
१८ अक्टूबर, १९२८

प्रिय मित्र,

आपका पत्र[१] मिला। श्रीयुत गणेशन् भी मेरे पास आये थे। खेद है कि मैं आपकी सहायता करने में असमर्थ हूँ। मैं अपनी असमर्थताके कारण आपको और आपकी ओरसे मेरे पास आनेवाले मित्रोंको बता चुका हूँ।

हृदयसे आपका,

महाविभव महाराजा नाभा
ऑब्जर्वेटरी, कोडाइकनाल, दक्षिण भारत

अंग्रेजी (एस॰ एन॰ १३५६५) की माइक्रोफिल्मसे।

 

४२६. पत्र: मोतीलाल नेहरूको

सत्याग्रहाश्रम, साबरमती
१८ अक्टूबर, १९२८

प्रिय मोतीलालजी,

आपके दो पत्र मिले।

मैं कलकत्ता कांग्रेस अधिवेशन में सम्मिलित होनेके सम्बन्धमें आपकी इच्छाका पालन अवश्य करूँगा।

मैंने प्रदर्शनीके मामलेका उल्लेख इस उद्देश्यसे नहीं किया था कि आप उसमें हस्तक्षेप करें।[२] अगर किसी क्षेत्रके लोग अपनी समझके अनुसार कोई काम कर रहे

  1. नाभाके अपदस्थ महाराजा, गुरुचरण सिंहने अपने दिनांक १९ सितम्बरके पत्र में गांधीजीसे अनुरोध किया था कि वे सरकारसे न्याय दिलाने और क्षतिपूर्ति कराने में उनकी सहायता करें।
  2. देखिए “पत्र: मोतीलाल नेहरूको“, ३०-९-१९२८।