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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

हों तो मैं किसी भी दशामें किसी किस्मका हस्तक्षेप करना पसन्द नहीं करूँगा। मैंने तो आपको अपनी कठिनाई बतलाई थी। मैंने यन्त्र-मात्रके प्रदर्शनपर तो निश्चय ही कोई आपत्ति नहीं की है। मुझे तो भारतीय मिलोंमें बने वस्त्रोंको रखनेपर ही आपत्ति थी और अब भी है। यन्त्रोंके बारेमें मेरी दलील यह है कि हमें प्रदर्शनीमें चाहे जिस यन्त्रको स्थान नहीं देना चाहिए, पर ऐसे यन्त्र जरूर रखे जा सकते हैं, जो हम खुद किसानोंके लिए उपयोगी मानते हों और जिनका अभी देशमें प्रचलन न हुआ हो।

मैं आपकी इस बातसे बिलकुल सहमत हूँ कि दंगोंके बावजूद हमें अपना राजनीतिक कार्य तो जारी रखना ही है।

आपके और कमलाके स्वास्थ्यके बारेमें मनको आश्वस्त करनेवाला आपका तार मिल गया था। कलकत्ता में आपको जरूरतसे ज्यादा मेहनत करनी पड़ेगी, इसलिए आपको अपना स्वास्थ्य बहुत ही बढ़िया बना लेना चाहिए।

हृदयसे आपका,

पण्डित मोतीलाल नेहरू
आनन्द भवन, इलाहाबाद

अंग्रेजी (एस॰ एन॰ १३७०७) की फोटो-नकलसे।

 

४२७. पत्र: मीराबहनको

१९ अक्टूबर, १९२८

चि॰ मीरा,

तुम्हारे पत्र, जो हर तरहसे दुरुस्त और सुन्दर होते हैं, मुझे मिलते रहे हैं। उन्हें पढ़कर मन आनन्दित होता है और सारी चिन्ता दूर हो जाती है। यदि मैं अभी विस्तारसे या नियमित रूपसे तुमको न लिख पाऊँ तो बुरा मत मानना। छगनलाल तुमको प्रभुदासके बारेमें तार भेजेगा।

स्नेह।

बापू

श्रीमती मीराबाई
जामिया मिलिया, करोल बाग, दिल्ली

मूल अंग्रेजी (सी॰ डब्ल्यू॰ ५३१४) से। सौजन्य: मीराबहन; जी॰ एन॰ ८२०४ से भी।