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४२८. तार: मीराबहनको

१९ अक्टूबर १९२८

मीराबहन
मार्फत―देवदास
करोल बाग, दिल्ली

प्रभुदासके बारेमें अपने ही विवेकसे निर्णय लो और जो भी ठीक समझो करो।

बापू

मूल अंग्रेजी (सी॰ डब्ल्यू॰ ५३१५) से। सौजन्य: मीराबहन; जी॰ एन॰ ८२०५ से भी।

 

४२९. पत्र: बी॰ जी॰ हॉर्निमैनको

सत्याग्रहाश्रम, साबरमती
२० अक्टूबर, १९२८

प्रिय मित्र,

आपका पहला पत्र मुझे तब मिला जब निर्धारित समय बीत चुका था और इसीलिए मैंने उसका कोई उत्तर नहीं दिया। आपका दूसरा पत्र कल मिला, पर उसकी प्राप्ति सूचित करनेके लिए तुरन्त ही आपको लिखनेका समय नहीं मिला। आप यदि कभी आश्रममें मेरे साथ चौबीस घण्टे बिताकर देखें तो फिर आप सौ शब्दोंकी बात तो दूर, पाँच शब्दोंका भी कोई लेख कभी मुझसे नहीं माँगेंगे। मैं फिलहाल जिन कामोंमें लगा हुआ हूँ, उनसे अधिक कुछ भी करनेकी न तो मुझमें शक्ति है और न समय ही। इसलिए आपको निराश करनेके लिए मैं क्षमा चाहता हूँ।

हृदयसे आपका,

श्री बी॰ जी॰ हॉर्निमैन
बम्बई

अंग्रेजी (एस॰ एन॰ १३५६६) की फोटो-नकलसे।