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७. सन्देश: भड़ौच जिला परिषद्को[१]
[१ जुलाई, १९२८]
बारडोलीकी सहायता करनेवाले लोग वास्तव में स्वयं अपनी ही सहायता करेंगे।
[अंग्रेजी से]
बॉम्बे क्रॉनिकल, ३-७-१९२८
बॉम्बे क्रॉनिकल, ३-७-१९२८
८. पत्र: मणिलाल और सुशीला गांधीको
साबरमती आश्रम
१ जुलाई, १९२८
चि॰ मणिलाल और सुशीला,
तुम्हारे पत्र मिले। सुशीला यह मानती है कि उसमें पत्र लिखनेकी योग्यता नहीं है। जो इस प्रकार अपनी अयोग्यताको सचमुच स्वीकार करता हो उसे योग्य बननेका भरसक प्रयत्न करना चाहिए। जिस हफ्ते तुमने यहाँके पावनेके बारेमें लिखा लगता है, उसी हफ्ते यहाँसे मेरी फटकार भी गई होगी।[२] मैं तो जो लिखना चाहता था, वह लिख चुका था। मैं चाहता हूँ कि तुम सावधान रहो। आखिर सामान्य व्यक्ति भी कुछ नियमोंका पालन तो करता ही है।
यहाँ सभी लोग स्वस्थ हैं।
यह पत्र मैंने सुबह चार बजे लिखवाया है।
बापूके आशीर्वाद
गुजराती (जी॰ एन॰ ४७४०) की फोटो-नकलसे।
- ↑ परिषद् १ जुलाई को हुई थी और इसको अध्यक्षता के॰ एफ॰ नरीमनने की थी। उपस्थित लोगोंमें वल्लभभाई पटेल, जमनालाल बजाज, अब्बास तैयबजी और एच॰ जे॰ अमीन भी शामिल थे। रिपोर्ट में बताया गया था कि "परिषद्ने कई प्रस्ताव पास किये, जिनमें बारडोलीकी जनताके पक्षका समर्थन किया गया; एक ऐसे मामले में, जो उनकी दृष्टिमें सिद्धान्तका मामला था, डटकर लड़नेके लिए उस ताल्लुकेके लोगोंको बधाई दी गई; भडौचके लोगोंसे सरकार द्वारा जब्त की गई जमीन न खरीदनेके लिए अनुरोध किया गया, बारडोलीके मामलेको लेकर बम्बई विधान परिषद्की सदस्यता छोड़नेवाले पार्षदोंको बधाई दी गई और माननीय दीवान बहादुर हरिलाल देसाई, माननीय श्री देहलवी, माननीय सर चुन्नीलाल मेहता तथा केरवाड़ाके ठाकुर साहबसे त्यागपत्र देनेका अनुरोध किया गया।"
- ↑ यह पत्र १९ जूनको लिखा गया था; देखिए खण्ड ३६, पृष्ठ ४५३।