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छुट्टियाँ मनानेका सच्चा तरीका

सामना करने के लिए दानके रूप में कुछ राहत भी दरकार होगी। कारण, ऐसा तो नहीं है कि सभी अकालपीड़ित लोग कताई करनेके लिए तैयार हों या कात सकते हों और न यही है कि राष्ट्रकी ओरसे प्रत्येक गाँवमें कताईके इच्छुक लोगोंके लिए पर्याप्त सुविधाएँ जुटा दी गई हों।

[अंग्रेजीसे]
यंग इंडिया, २५-१०-१९२८
 

४४५. छुट्टियाँ मनानेका सच्चा तरीका

एक पत्र-लेखकने मुझसे आग्रह किया है कि मैं उन लोगोंको चेतावनी दूँ जो आगामी दीवालीकी छुट्टियों में अपनी कमाईका पैसा आतिशबाजियों, रद्दी-सद्दी मिठाइयों और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक रोशनी करने में फूँकनेकी सोच रहे हैं। मैं हृदयसे इसका समर्थन करता हूँ। यदि मेरी चले तो मैं इन छुट्टियोंके दौरान लोगोंको घरोंकी सफाई करने, हृदयोंको शुद्ध बनाने और बच्चोंके लिए निर्दोष प्रकारका शिक्षाप्रद मनोरंजन जुटानेपर विवश कर दूँ। मैं जानता हूँ कि आतिशबाजियोंमें बच्चोंको बड़ा मजा आता है, पर वह इसीलिए तो कि हम वयस्कोंने उनको इस चीजका आदी बना दिया है। मैंने देखा है कि सरल-प्रकृति आफ्रिकी बच्चोंको ऐसा कोई चाव नहीं है। वे इसके बदले नृत्य करते हैं। बच्चोंके लिए इससे अधिक स्वास्थ्यप्रद तथा श्रेष्ठ मनोरंजन और क्या हो सकता है कि उनको खेल-कूदमें लगाया जाये या ऐसी गोठ या वन-विहारका आयोजन किया जाये जिनमें वे बाजारकी सड़ी-गली मिठाइयोंके बजाय ताजा फल और सूखे मेवे अपने साथ ले जायें। धनी और गरीब दोनों ही घरोंके बच्चोंको अपने घरोंकी सफाई और पुताई करना भी सिखाया जा सकता है। आरम्भमें छुट्टियोंके दौरान ही यदि उनको प्यारके साथ श्रमका सम्मान करना सिखाया जाये, श्रमका माहात्म्य महसूस कराया जाये तो यह एक बड़ी बात होगी। पर यहाँ मैं जोर इस बातपर देना चाहता हूँ कि आतिशबाजी इत्यादिसे बचाया हुआ, यदि पूरा नहीं तो, कुछ पैसा भी खादीके लिए अवश्य ही दिया जाना चाहिए, या यदि खादीसे चिढ़ ही हो तो किसी ऐसे कामके लिए दिया जाना चाहिए जिससे दरिद्रनारायणकी सेवा हो सके। स्त्री-पुरुषों, बच्चों और वृद्धोंके लिए इससे बढ़कर हर्षकी बात और कोई नहीं हो सकती कि वे छुट्टियोंके दिनोंमें देशके दरिद्रनारायण की बात सोचें और उससे अपना कुछ नाता जोड़ें।

[अंग्रेजीसे]
यंग इंडिया, २५-१०-१९२८