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४५८. तार: श्रीमती एस॰ आर॰ दासको

[२६ अक्टूबर, १९२८को या उसके पश्चात्][१]

श्रीमती एस॰ आर॰ दास
कलकत्ता

मेरी हार्दिक समवेदना। आपकी इस क्षतिमें आपके अनेकानेक मित्र भी सहभागी हैं जिनमें से एक मैं अपने आपको लेखता हूँ।

गांधी

अंग्रेजी (एस॰ एन॰ १३५८५) की फोटो-नकलसे।

 

४५९. पत्र: मीराबहनको

२७ अक्टूबर, १९२८

चि॰ मीरा,

कुसुमको मलेरिया हो गया है। इसलिए मैं ढाई बजे रातसे लिखता ही रहा हूँ। यहाँ आजकल बहुत-से लोग बीमार पड़े हैं। छगनलाल जोशीका पूरा परिवार बीमारी में जकड़ा है। नारणदासका बुखार फिर लौट आया है। बा को बड़ी कठिनाई से गुजरना पड़ा है; प्यारेलाल खाट पकड़े है। छोटेलालको फिर ज्वरके लक्षण दिख रहे हैं; बलिष्ठ सुरेन्द्र तक इससे बच नहीं पाया है। और भी कई हैं, जिनका उल्लेख करनेकी जरूरत नहीं। पर स्टैन्डेनेथका उल्लेख करना मुझे नहीं भूलना चाहिए। उसपर काफी जोरका प्रकोप हुआ है। अब तुम अनुमान लगा सकती हो कि मुझे कितनी मुश्किलोंका सामना करना पड़ रहा है। महादेव बारडोलीमें है।

लेकिन बीमारोंकी इस लम्बी सूचीके बावजूद ईश्वरकी यही इच्छा है कि मैं अपना काम करता रहूँ और वह मुझे काफी भला-चंगा रखे हुए है। पर कौन कह सकता है―?

सभी चीजें धीरे-धीरे आगे चलती जा रही हैं। बछड़ेवाली घटनाकी ओर मुझे काफी ध्यान देना पड़ा है। उससे एक बड़ा लाभ यह हुआ है कि लोग सोचनेके लिए प्रेरित हुए हैं।

(इतना लिखनेके बाद मुझे प्रार्थनाके लिए कलम रोक देनी पड़ी थी ।)

 
  1. वाइसरायकी कायकारिणी परिषद्के विधि-सदस्य, एस॰ आर॰ दासकी मृत्यु २६ अक्टूबर को हुई थी।