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पत्र: रामदास गांधीको

 

[पुनश्च:]

आशा है, कान्ति अब चलने-फिरने लगा होगा। {{Left|भाईश्री ५ कल्याणजी
पाटीदार आश्रम
सूरत

गुजराती (जी॰ एन॰ २६८०) की फोटो-नकलसे।

 

४६३. पत्र: रामदास गांधीको

शनिवार [२७ अक्टूबर, १९२८][१]

चि॰ रामदास,

तेरा पत्र मिला।

आजकल तू किस काममें लगा हुआ है, लिखना। मीठूबहनके मण्डलमें सम्मिलित हो गया, यह ठीक किया।

बा नीमूको वहाँ भेज देनेके लिए अधीर है। नीमूने किसी तरहकी माँग नहीं की। किन्तु आज बा बहुत आग्रह करने लगी, इसलिए इतना लिख रहा हूँ।

बापूके आशीर्वाद

[पुनश्च:]

यह पत्र लिखनेके बाद मैंने साथका पत्र पढ़ा, किन्तु अब तो मैं तेरा पथ-प्रदर्शन करूँ, इसकी जरूरत नहीं रही। मीठूबहनकी मीठी नजरके नीचे तुझे कोई अड़चन नहीं होगी।

बापू

गुजराती (जी॰ एन॰ ६८५८) की फोटो-नकलसे।

 
  1. डाकको मुहरसे।