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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय


यद्यपि मैं यह स्वीकार करता हूँ कि बाड़ा लगाना भी जरूरी है। सिखों और समितिके बीच इस मामलेका कोई उचित और संतोषजनक निबटारा हो जाना चाहिए।

और दूसरे पत्रके सम्बन्धमें, मैं स्मारक-पटल पर अंकित करनेके लिए अभिलेखका मसविदा[१] साथमें भेज रहा हूँ।

हृदयसे आपका,

श्रीयुत लाला मुल्क राज
मन्त्री, जलियाँवाला बाग-स्मारक कोष
अमृतसर

अंग्रेजी (एस॰ एन॰ १५३६९) की माइक्रोफिल्मसे।

 


१२. पत्र: शाह मुहम्मद कासिमको[२]

सत्याग्रहाश्रम, साबरमती
१ जुलाई, १९२८

प्रिय मित्र,

आपका पत्र मिला। जबतक मैं आपके पत्र में लिखी बातकी सचाईकी छान-बीन[३] न कर लूं तबतक उसके बारेमें 'यंग इंडिया' में कुछ नहीं लिख सकता। अभी मैं छान-बीन कर रहा हूँ और यदि मुझे लगा कि आपका पत्र प्रकाशित करने या उसके सम्बन्ध में लिखनेसे किसी भी तरहसे कोई लाभ हो सकता है तो मैं बेशक उसके बारेमें लिखूंगा।[४]

हृदयसे आपका,

शाह मुहम्मद कासिम साहब
मार्फत–सैयद मुहम्मद हुसैन
डाकघर–नरहट
गया

अंग्रेजी (एस॰ एन॰ १२३९५ ए) की माइक्रोफिल्मसे।

 

  1. देखिए "जलियाँवाला बाग-स्मारकके लिए अभिलेखका मसविदा", १-७-१९२८।
  2. शाह मुहम्मद कासिमके ९ जून, १९२८ के पत्रके उत्तरमें; शाह मुहम्मद कासिमने अपने पत्र में शिकायत करते हुए कहा था कि किस प्रकार ईदके अवसरपर मुसलमानोंको बकरोंको कुरबानीसे रोका गया।
  3. देखिए अगला शीर्षक।
  4. देखिए "पत्र: शाह मुहम्मद कासिमको", ११-७-१९२८।