पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 37.pdf/४७६

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४७९. पत्र: एन॰ के॰ एस॰ नौलखाको

सत्याग्रहाश्रम, साबरमती
३१ अक्टूबर, १९२८

प्रिय मित्र,

शंकरलालजी ने आपका पत्र मेरे पास भेज दिया है। मुझे बिलकुल ठीक याद है कि लगभग तीन महीने पहले मैंने आपके पत्रका उत्तर दिया था और उसमें लिखा था कि आपके लिए सबसे अच्छा यही रहेगा कि आप अपनी योजनाके सिलसिलेमें सतीश बाबूसे मिलें, क्योंकि मेरी समझमें नहीं आता कि मैं यहाँसे आपका मार्गदर्शन कैसे कर पाऊँगा। अगर आपने किसी दूसरे पत्रका हवाला दिया हो तो कृपया मुझे लिखिए। मैं तुरन्त उसका उत्तर दूँगा।

आशा है, आपका सब-कुछ ठीक-ठीक चल रहा होगा।

हृदयसे आपका,

श्रीयुत एन॰ के॰ एस॰ नौलखा
नौलखा भवन, अजीमगंज (बंगाल)

अंग्रेजी (एस॰ एन॰ १३५८१) की माइक्रोफिल्मसे।

 

४८०. पत्र: जैकब सॉरिसको

सत्याग्रहाश्रम, साबरमती
३१ अक्टूबर, १९२८

प्रिय मित्र,

मुझे मालूम हुआ है कि मेरी लंका-यात्राके दौरान आपने कुछ चन्दा जमा किया था। वह राशि आपने अहमदाबादकी बजाय इलाहाबाद भेज दी और इलाहाबाद कार्यालयने वह आपको लौटा दी, जो तबसे आपके ही पास पड़ी हुई है। वह राशि चूँकि खादीके लिए जमा की गई थी, इसलिए आशा है कि आप उसे किसी और काममें न लगाकर मेरे पास खादीपर खर्च करनेके लिए भेज देंगे।

हृदयसे आपका,

श्री जैकब सॉरिस
मेसर्स पॉल सॉरिस ऐंड कम्पनी
बदुल्ला (लंका)

अंग्रेजी (एस॰ एन॰ १३५८२) की माइक्रोफिल्म से।