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परिशिष्टांश

१. पत्र: जवाहरलाल नेहरूको

३ जुलाई, १९२८

प्रिय जवाहर,

तुम्हारा पत्र मिला। हाँ, तुम्हारे पिताजीने कमला और इन्दुका सब समाचार मुझे लिखा था।

साफ दिख रहा है कि अभी समुचित समझौतेके लायक ठीक वातावरण मौजूद नहीं है। खड़गपुरकी विभीषिका तो देखो। जमकर कुछ और टक्करें हो जानेके बाद ही सम्बन्धित पक्षोंके लोगों होश आयेगा।

मैं चाहता हूँ कि तुम अकेलापन महसूस न करो। हमको अब समझ लेना चाहिए कि कार्यकर्त्ताओंके सामने जो काम है वह उतना आसान नहीं है जितना कि हम कभी उसे समझते थे। मैं चाहूँगा कि तुम धैर्य बराबर बनाये रखो और कोई ऐसा काम हाथमें ले लो जिसमें तुम अपने-आपको जीवन्त आस्थाके साथ पूरी तरह से लगाये रख सको। ‘गीता’ को पथ-प्रदर्शिका मानकर चलो।

सस्नेह,

बापू

[अंग्रेजीसे]
गांधी-नेहरू कागजात, १९२८।
सौजन्य: नेहरू स्मारक संग्रहालय तथा पुस्तकालय