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२. पत्र: जवाहरलाल नेहरूको
२९ जुलाई, १९२८
प्रिय जवाहरलाल,
पूरी आशा है कि कमला और इन्दु खूब स्वस्थ-सानन्द होंगी। तुम्हारा तार मिल गया था और पत्र भी। अध्यक्ष-पदका प्रकरण अब समाप्त हो चुका है।
मैं तुमसे भुवरजीके बारेमें सलाह लेनेके लिए यह पत्र लिख रहा हूँ। वह आश्रमसे बीस रुपये प्रति माह चाहता है और इस सिलसिलेमें सौ रुपये पेशगी। तुम मुझे बतलाओ कि उसका काम कैसा है और क्या तुम उससे सन्तुष्ट हो। अ॰ भा॰ च॰ सं॰ उसको न तो कुछ देगा और न दे ही सकता है। क्या तुम सलाह दोगे कि आश्रम उसकी आवश्यकताएँ पूरी करे? वह किस किस्मका काम कर रहा है?
हृदयसे तुम्हारा,
बापू
[अंग्रेजीसे]
- गांधी-नेहरू कागजात, १९२८।
- सौजन्य: नेहरू स्मारक संग्रहालय तथा पुस्तकालय