पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 37.pdf/४८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

१५. पत्र: बेचर परमारको

२ जुलाई, १९२८

भाईश्री बेचर परमार,

आप जिन दोषोंको नाईके धन्धेसे जुड़ा हुआ मानते हैं वे दोष तो शायद सभी धन्धोंमें हैं। किन्तु यदि सभी अपने-अपने धन्धोंमें लगकर अपनी रोजी-रोटी कमायें तो कमसे-कम संघर्ष होगा।

मोहनदास गांधीके वन्देमातरम्

गुजराती (जी॰ एन॰ ५५६७) की फोटो-नकलसे।

१६. पत्र: रामनारायण पाठकको

२ जुलाई, १९२८

भाई रामनारायण,

जरा फुरसत मिलने पर तुम्हें पत्र लिखने के विचारसे मैंने तुम्हारा १८ अप्रैलका पत्र अब तक सँभालकर रख छोड़ा था। तुम्हारे विद्यापीठ[१] छोड़ देनेसे मुझे दुःख तो अवश्य हुआ। हालाँकि तुमने अपना प्रत्यक्ष सम्बन्ध तोड़ लिया है, फिर भी मैं यही मानता हूँ कि जिस संस्थाकी तुमने सेवा की है, भविष्य में भी यथाशक्ति उसकी सहायता करते रहोगे। आशा है, तुम स्वस्थ होगे।

बापूके आशीर्वाद

गुजराती (जी॰ एन॰ ६११०) की फोटो-नकलसे।

 

  1. गुजरात विद्यापीठ।